मिलावटी मावे का खेल बिगाड़ सकता है सेहत
दीपावली पर्व पर स्थानीय हलवाइयों के पास मावा की मांग अचानक बढ़ गई है।
शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर
दीपावली पर्व पर स्थानीय हलवाइयों के पास मावा की मांग अचानक बढ़ गई है। मांग बढ़ने व स्थानीय मावा उत्पादन सामान्य होने की वजह से मिठाई विक्रेता काफी हद तक बाहर से आने वाले मावे पर ही निर्भर हो गए हैं। बाहर से आने वाला मावा कितना असली है और कितना नकली, इस पर नजर रखना खाद्य सुरक्षा विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। हर बार विभाग सांप निकलने के बाद ही लकीर पीटता है। विभाग मिलावटी मावे पर शिकंजा कसने में काफी हद तक नाकाम ही साबित हुआ है।
दीपावली से पहले नकली मावा व खोये की आपूर्ति जैसे मामले सामने आते रहते हैं। पुलिस अपने स्तर या फिर स्वास्थ्य विभाग की मदद से मिलावटी मावा की खेप पकड़ती है। मगर अब मिलावटखोर ट्रेन को भी इस तरह के व्यापार का माध्यम बना रहे हैं। इसे लेकर पुलिस के साथ ही खाद्य सुरक्षा विभाग को भी अपना शिकंजा मजबूत करना होगा, जिले में करीब 80 फीसद मावा बाहरी राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश व पानीपत से आता है। सेहत के लिए खतरनाक है निम्न गुणवत्ता का मावा
विशेषज्ञ मानते हैं मावा कितने दिन पहले तैयार हुआ है, इस बारे में कोई गारंटी नहीं होती है। अगर मावा व्यापारी ने दो दिन अपने यहां मावा को बनाकर रख लिया तो इसकी सप्लाई होने तक यह कितना पुराना हो जाएगा, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। कई दिन पहले तैयार मावे की गुणवत्ता में कमी आ जाती है। मावे में फंगस और खटास आ जाती है। इसलिए मावे को एक निश्चित तापमान पर रखना होता है। लेकिन दूर से आने वाले मावे की खेप में तापमान जैसी अहम चीजों पर कम ही ध्यान दिया जाता है।
स्थानीय स्तर पर पूरी नहीं हो पाती डिमांड, बाहर से आता है मावा
स्थानीय दूध व्यापारीयों का कहना हैं कि ग्रामीण स्तर पर दूध उत्पादन का अधिकांश हिस्सा घरों में ही खपत हो जाता है। डेयरी का कोई बड़ा कारोबार नहीं होने की वजह से मावा का स्थानीय उत्पादन इतना नहीं होता, जिससे कि दीपावली में हलवाइयों की मांग पूरी की जा सके। दीपावली सीजन होने के कारण मावा बाहर से मंगवाया जाता है। उनके मुताबिक, अधिकांश मावा बाहरी राज्य दिल्ली के रास्ते ही आता है। पुलिस रख रही जांच
थाना प्रभारी कुलविदर सिंह कहते है कि मिठाई में मावा की भूमिका अहम होती है। लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सेहत विभाग की है, ऐसे में सेहत विभाग ही मावा की जांच कर सकती है। पुलिस प्रशासन द्वारा भी नकली मावा के प्रयोग करने वालों पर नजर रखी जा रही है जैसे ही कोई नकली मावे की खेप आएगी तो सेहत विभाग को लेकर छापेमारी की जाएगी।