गुरदासपुर में वीडियो गेम खेलने से रोकने पर इस कदर आहत हुई 10वीं की छात्रा, जहर निगलकर दे दी जान
गुरदासपुर में एक मां ने बेटी को सिर्फ इतना कहा कि वीडियो गेम खेलना बंद कर दो। इससे बेटी गुस्से से लाल पीली हो गई और जहर निगलकर आत्महत्या कर दी।
जेएनएन, गुरदासपुर। वीडियो गेम्स की लत बच्चों के लिए खतरनाक बनती जा रही है। बच्चे इसे खेलने से रोकने पर अपनी जान तक दे रहे हैं। ताजा मामले में जिले के ब्लॉक दोरांगला के गांव मलूकचक्क में दसवीं की 16 वर्षीय छात्रा सिमरनजीत को मां ने जब वीडियो गेम खेलने से रोका तो उसने गुस्से में जहरीली दवा (सल्फास) निगल ली। घटना मंगलवार शाम छह बजे की है। हालत गंभीर होने पर उसे सिविल अस्पताल में भर्ती करा गया, लेकिन पूरे शरीर में जहर फैल जाने के कारण देर रात उसकी मौत हो गई।
गांव मलूकचक्क की सर्बजीत ने बताया कि उनकी दो बेटियां थीं। बड़ी बेटी सिमरनजीत को पहले पबजी गेम खेलने की लत थी। वह पूरा पूरा दिन मोबाइल फोन पर ऑनलाइन पबजी गेम खेलती रहती थी। पहले तो स्कूल जाती थी और स्कूल से आने के बाद गेम खेलती थी, लेकिन जब से कोरोना के कारण स्कूल बंद था तब से सिमरनजीत पूरे दिन पबजी गेम पर ही लगी रहती थी। जब वह गेम खेलने से रोकती थी तो नाराज हो जाती थी। अब सरकार ने पबजी गेम बंद कर दी है तो उन्हें तो बहुत खुशी मिली थी, लेकिन सिमरनजीत उस दिन से काफी डिप्रेशन में रहती थी।
अब दो तीन दिन पहले ही फिर से उसने न जाने कौन सी वीडियो गेम खेलनी शुरू कर रखी थी। फिर से पहले की तरह वह उस गेम में पूरा-पूरा दिन गेम खेलने में ही गुजारने लगी। जब कोई उसे गेम खेलने से रोकता था तो वे गुस्से में बोलती थी। मंगलवार दोपहर वह कोई वीडियो गेम खेल रही थी। उन्होंने उसे गेम खेलने से रोका तो वे गुस्से हो गई और आराम से घर के कमरे में बैठ गई। इसके बाद वह अपनी छोटी बेटी को साथ लेकर दोरांगला शहर में दवाई लेने चली गई। सिमरनजीत घर में अकेली थी। इस दौरान उसने घर में पड़ी जहरीली दवा (सल्फास) निगल ली। थाना दोरांगला की प्रभारी मनजीत कौर का कहना है कि लड़की की मां के बयानों के आधार पर 174 की कार्रवाई कर पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया है।
पहले आया था ब्लू व्हेल गेम
सोशल मीडिया और इंटरनेट तक आसान पहुंच के इस दौर में कई ऐसे जानलेवा गेम्स पहले भी सामने आए थे। ब्लू व्हेल नाम का एक ऐसा गेम आया था। इसमें लोगों का एक ऑनलाइन समूह था, जो लोगों को सुसाइड करने के लिए उकसा रहा था। वहीं पबजी गेम भी ऐसी गेम है, जो बच्चों के दिमाग को जैसे अपने कंट्रोल में ले लेती है। भले ही सरकार ने पबजी गेम बंद कर दी है, लेकिन अब भी बच्चों के दिमाग में पबजी गेम घूम रही है। वे अक्रामक हो गए हैं। अपनी जान गंवा रहे हैं।
मोबाइल गेम से होने वाली समान्य परेशानी
- ब्रेन पर विपरीत असर।
- पबजी गेम में हिंसा दिखाई जाती है और हथियारों का इस्तेमाल होता है। इससे बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है।
- नींद की कमी या नींद से जुड़ी परेशानी।
- स्कूलों-कॉलेजों से लगातार अनुपस्थित रहना
- जरूरत से ज्यादा गुस्सा दिखाना।
- एकाग्रता की कमी।