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सिविल अस्पताल में दवा विक्रेताओं के का¨रदों का दबदबा

सिविल अस्पताल में इन दिनों पास में स्थित दवा विक्रेताओं के कारिदों का खूब दबदबा चल रहा है। वे अस्पताल आए मरीजों को अपने जाल में फंसाकर उनकी पर्ची पर लिखी दवाइयों को अपने स्टोर महंगे रेट पर दिलवाते हैं। ये सबकुछ दैनिक जागरण द्वारा शनिवार को किए ¨स्टग में खुलासा हुआ। इन का¨रदों की अस्ताल के डाक्टरों के साथ अ'छी से¨टग है। अस्पताल में यह बेखौफ होकर घूमते है। उधर, अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों ने यह स्पष्टीकरण दिया कि उन्हें इस मामले बारे कोई जानकारी नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 04:14 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 04:14 PM (IST)
सिविल अस्पताल में दवा विक्रेताओं के
का¨रदों का दबदबा
सिविल अस्पताल में दवा विक्रेताओं के का¨रदों का दबदबा

विनय कोछड़, बटाला : सिविल अस्पताल में इन दिनों पास में स्थित दवा विक्रेताओं के कारिदों का खूब दबदबा चल रहा है। वे अस्पताल आए मरीजों को अपने जाल में फंसाकर उनकी पर्ची पर लिखी दवाइयों को अपने स्टोर महंगे रेट पर दिलवाते हैं। ये सबकुछ दैनिक जागरण द्वारा शनिवार को किए ¨स्टग में खुलासा हुआ। इन का¨रदों की अस्ताल के डाक्टरों के साथ अच्छी से¨टग है। अस्पताल में यह बेखौफ होकर घूमते है। उधर, अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों ने यह स्पष्टीकरण दिया कि उन्हें इस मामले बारे कोई जानकारी नहीं है।

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सिविल अस्पताल का दौरा करने पर पाया गया कि दवाई विक्रेताओं के कारिदें मरीजों की पर्ची लेकर उन्हें साथ लेकर जाते दिखे। करीब 10 बजे दो कारिदें अस्पताल में दाखिल हुए। उन्होंने पहले अस्पताल का सारा राऊंड लगाया, फिर बारी-बारी हर वार्ड में जिन डाक्टरों की ओपीडी थी, उन्हें मिलने लगे। वहां से डॉक्टरों के द्वारा लिखी दवाइयों की पर्ची को अपने कब्जे में लेकर मरीज को अपने साथ ले गए। एक का¨रदा अस्पताल की गायिनी आप्रेशन थियेटर (ओटी) में बेखोफ होकर घुस गया। टीम ने उसका पंद्रह मिनट इंतजार किया। बाहर आने पर उसके हाथ में मरीज की पर्ची थी। जब टीम ने उससे पूछा कि आप कौन हूं, तो उसने कहा कि आप कौन होते है, मेरे से पूछने वाले। बाद में मौके से का¨रदा फरार हो गया।

मरीज बोल, का¨रदें करते है जोर-जबरदस्ती

बटाला। अस्पताल में चेकआप करवाने आए मरीजों का आरोप है कि अस्पताल में स्थित कारिदें उनकी हाथ से डाक्टरों द्वारा लिखी पर्ची को छीनकर अपने मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने के लिए मजबूर करते है। आरोप लगाते कहा कि उनके साथ जोर-जब्रदस्ती की जाती है। मेडिकल स्टोर से यह दवाईयां ¨प्रट रेट से अधिक दाम पर मिलती है। विरोध करने पर उनकी कोई सुनवाई नही की जाती। अगर अस्पताल के डाक्टर को सस्ती दवाईयां लिखने के लिए बोला जाता है तो उनका तर्क होता है कि ठीक होना है या नही। चुप करके जो दवाइयां लिखी गई है उसे बाजार से खरीद लें।

अस्पताल में तीस फीसदी दवाइयों का स्टोक

बटाला। सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल अधिकारी (एसएमओ) डा. सजीव भल्ला के मुताबिक अस्पताल में केवल तीस फीसदी दवाईयों का स्टाक है। सिर्फ बीपी,शुगर,सिरदर्द, एंटीबायोटिक दवाईयां मौजूद है। वहीं, अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाजार की महंगी दवाईयां लिखी जाती है, जिन्हें खरीद पाने में गरीब मरीज असमर्थ रहते है। मरीजों का तर्क था कि डाक्टर उन्हें जैनरिक दवाईयां क्यों नही लिखते है। वैसे भी जेनरिक दवाईयों का सालट सेम होता है और होती भी सस्ती है।

डॉक्टर पर लगे आरोप, जानबूझकर लिखते है महंगी दवाइयां

बटाला। मरीजों ने डाक्टरों पर आरोप लगाते कहा कि डाक्टर जानबूझ कर उन्हें बाजार की महंगी दवाईयां लिखते है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन दवा विक्रेता कंपनियों की डॉक्टर के साथ कमीशन को लेकर से¨टग है।

जितनी पर्ची गई, उसका शाम को होता है हिसाब

बटाला। जिन-जिन डाक्टरों की दवाई विक्रेताओं की साथ से¨टग है। शाम को पर्ची की गिनती होती है। किन-किन डाक्टरों द्वारा ये दवाईयां लिखी गई। उन्हें इसका मुनाफा दवा विक्रेता उनके पास जाकर खुद पहुंचाता है। एक अनुमान के मुताबिक सिविल अस्पताल में प्रतिदिन साढ़े पांच सौ की ओपीडी होती है। इस हिसाब से हर डाक्टर को दवाईयों की हजारों के हिसाब से कमीशन बन रही है। कानून के मुताबिक एक सरकारी डाक्टर ऐसा नही कर सकता, लेकिन अस्पताल प्रशासन के नाक तले सबकुछ चल रहा है।

डॉक्टरों के खिलाफ होगा एक्शन : सिविल सर्जन

बटाला। सिविल सर्जन(सीएस) डॉ. किशन चंद ने बताया कि वे अस्पताल में इस मामले की बारीकी से जांच करवा लेते है। अगर कोई डाक्टर इस मामले में आरोपित पाया जाता है तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।


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