किसानों ने कर रखी थी एक माह से तैयारी, प्रशासन को चकमा देकर रेलवे ट्रैक पर पहुंचे
छह माह से मांगें नहीं माने जाने पर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब ने कड़ा रुख अपनाते हुए पहले दो दिन डीसी कार्यालय के सामने धरना दिया।
सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर
छह माह से मांगें नहीं माने जाने पर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब ने कड़ा रुख अपनाते हुए पहले दो दिन डीसी कार्यालय के सामने धरना दिया। इसके बाद शुक्रवार को संघर्ष तेज करते हुए गुरदासपुर-श्रीहरगोबिदपुर रोड पर पड़ते पठानकोट-अमृतसर रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया। दोपहर एक बजे से शुरू किया गया संघर्ष खबर लिखे जाने तक लगातार जारी है। हालांकि जिला प्रशासन के अधिकारियों ने किसानों को मनाने का प्रयास किया, लेकिन वे उसमें सफल नहीं हो पा रहे थे।
जिला प्रशासन ने किसानों के रेल रोको आंदोलन को असफल करने का प्रयास किया था। गुरदासपुर-पठानकोट रोड पर पड़ते रेलवे ट्रैक के आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। इसके साथ ही डीसी कार्यालय के आसपास भी भारी पुलिस बल तैनात करके सभी तरफ बेरीकेडिग की गई थी ताकि किसानों को रेलवे ट्रैक से जाने से रोका जा सके। लेकिन किसान रेल रोको आंदोलन को सफल बनाने के लिए एक महीने पहले से ही गुप्त तैयारी कर रहे थे। इसका खुलासा खुद किसान नेता पंधेर ने एसडीएम के साथ बातचीत के दौरान किया। पुलिस को चकमा देने के लिए आधे किसान डीसी कार्यालय के सामने धरना स्थल पर एकत्र होते रहे। जबकि 500 के करीब किसान किसी अलग जगह पर एकत्र होकर एक साथ गुरदासपुर-श्रीहरगोबिदपुर रोड पर पड़ते रेलवे ट्रैक पर बैठ गए। इसके बाद पुलिस प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए और आनन-फानन में कई बड़े अधिकारी व भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा। इसके बाद धरनास्थल पर मौजूद किसानों को भी रेलवे ट्रैक पर पहुंचने में अधिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। महिलाओं ने किया पूरा सहयोग
किसानों के धरने में महिलाओं ने भी पूरा सहयोग किया गया। किसानों के संघर्ष में भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई। गुरदासपुर-श्रीहरगोबिदपुर फाटक से लेकर धारीवाल की तरफ करीब 500 मीटर दूरी तक किसानों ने पूरा ट्रैक जाम किया हुआ है। 68,68
बाहर के यात्री फंसे
किसानों के रेल रोको आंदोलन के दौरान यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अमृतसर से जम्मू जाने वाली जम्मूतवी ट्रेन को धारीवाल में रोक दिया गया है। जम्मूतवी में सवार हीरा लाल व शोभा देवी ने बताया कि वे इलाहाबाद से मां वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए निकले हुए हैं। किसानों के आंदोलन के चलते वे करीब चार घंटे से धारीवाल स्टेशन पर फंसे हुए हैं। हजारीबाग और कानपुर निवासी आसिफ अली व मुकेश कुमार ने बताया कि वे भी वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए जम्मू जा रहे हैं। लेकिन ट्रेन रास्ते में रुक जाने के कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उधर, गुरदासपुर, बटाला, दीनानगर रेलवे स्टेशनों पर डीएमयू भी नहीं चली। इससे काफी यात्री इधर-उधर भटकते दिखाई दिए। रेलवे विभाग ने रेल सेवा प्रभावित होने के कारण टिकट काउंटर बंद कर दिए। लोगों को यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ट्रेन सेवा क्यों प्रभावित है। अपनी जिज्ञासा दूर करने के लिए वे स्टेशन मास्टरों के पास पहुंच रहे थे। पूरी तैयारी के साथ निकले किसान
किसान इस बार पूरी प्लानिग के साथ निकले। किसान नेताओं ने बताया कि इस रेल रोको आंदोलन को सफल बनाने के लिए पिछले एक माह से तैयारियां चल रही थीं। धरने पर बैठे एक हजार के करीब किसानों को समय पर चाय, खाना आदि मुहैया करवाया जा रहा था। इसके अलावा रात के समय रेलवे ट्रैक पर डटे रहने के लिए बिस्तरों का भी पहले से ही प्रबंध कर लिया गया था। किसानों की इतनी तैयारी में जिला प्रशासन की मुश्किलें काफी बढ़ा दी हैं। किसानों को रेलवे ट्रैक से उठाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है, लेकिन फिलहाल किसान अपनी जिद पर अड़े हुए है। ये हैं मांगें
--पिछले साल के दौरान हुई बेमौसम बारिश से तबाह हुई गेहूं व धान का मुआवजा 40 हजार रुपये प्रति एकड़ दिया जाए।
--गन्ना किसानों का पिछला बकाया तुरंत दिया जाए। मौजूदा सीजन की पैमेंट 14 दिन के भीतर की जाए। 14 दिन के बाद अदायगी ब्याज समेत की जाए और सरकारी मिलों की गिन्ना पिराई की क्षमता बढ़ाई जाए।
--नाला नोमनी व किरन की सफाई तुरंत यकीनी बनाई जाए और उसे सीधा किया जाए। गांव सुलतानी के किसानों के लिए रास्ते का प्रबंध किया जाए और बरसाती पानी के निकास का प्रबंध किया जाए।
--60 साल से ऊपर वाले किसान-मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा के तहत बुढ़ापा पेंशन दस हजार रुपये दी जाए।
--पांच एकड़ मालिक वाले किसानों के खेत औजाड़ को मनरेगा के तहत लाया जाए और दिहाड़ी 500 रुपये की जाए।
--किसान-मजदूरों का कर्ज खत्म किया जाए। खाली चेक व पेनल्टी बयाने की मान्यता रद की जाए और खाली चेक वापस किए जाए।
--सरकारी दफ्तरों व तहसीलों में नवीसों के फीस बोर्ड लगाए जाए और दफ्तरों में भ्रष्टाचार खत्म किया जाए।
--शगुन स्कीम 51 हजार रुपये की जाए और बेघरों को पांच-पांच मरले के प्लांट दिए जाए।