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सिविल अस्पताल में गर्भवती की डिलीवरी स्टाफ नर्सो के जिम्मे

अबोहर के 100 बिस्तर वाले सरकारी अस्पताल में गायनी डॉक्टर का पद खाली है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 11:04 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 11:04 PM (IST)
सिविल अस्पताल में गर्भवती की डिलीवरी स्टाफ नर्सो के जिम्मे
सिविल अस्पताल में गर्भवती की डिलीवरी स्टाफ नर्सो के जिम्मे

राज नरूला, अबोहर : अबोहर के 100 बिस्तर वाले सरकारी अस्पताल में गायनी डॉक्टर का पद खाली है। इससे गर्भवती महिलाओं का प्रसव करवाना नर्सो के जिम्मे है। अस्पताल में तैनात गायनी डॉक्टर सुप्रिया चौधरी ने पद से त्यागपत्र दे दिया है। इससे पहले डॉ. सुप्रिया चौधरी करीब एक महीने से छुट्टी पर चल रही थी। उनका कहना था कि अस्पताल में उन्हें ड्यूटी देने में काफी परेशानी हो रही थी। यहां प्राइवेट एजेंटों के कारण उन्हें जलील होना पड़ता था। इस कारण उन्हें अस्पताल से त्यागपत्र देने का निर्णय लेना पड़ा। यह मामला स्वास्थ्य मंत्री के दौरे के दौरान भी उठा। अब डॉ. चौधरी अपने पति के साथ निजी अस्पताल में सेवाएं दे रही हैं।

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अस्पताल में प्रसव के रोजाना आठ से 10 केस आते है। इनमें नॉर्मल डिलीवरी तो स्टाफ नर्स करवा देती हैं, लेकिन अगर कोई सिजेरियन करना पड़े तो गर्भवती को रेफर करना पड़ता है। अस्पताल की एक स्टाफ नर्स ने बताया कि गायनी स्पेशलिस्ट न होने के बावजूद भले ही वह नार्मल डिलीवरी तो करवा देती है व अगस्त महीने में करीब 225 नॉर्मल डिलीवरी हुई। लेकिन इस दौरान उन्हें यह परेशानी आती है कि वह किसी भी महिला को डॉक्टर की मंजूरी से ही कोई दवा नहीं दे सकती हैं

प्राइवेट अस्पताल में 20 से 25 हजार आता है सिजेरियन पर खर्च

सरकारी अस्पताल में नॉर्मल डिलीवरी बिल्कुल मुफ्त होती है, जबकि सिजेरियन भी मुफ्त होता है, जबकि प्राइवेट अस्पताल में नार्मल डिलीवरी के 10 से 15 हजार व सिजेरियन के 20 से 25 हजार रुपये का खर्च आता है जो आम वर्ग के लिए खर्च करना काफी मुश्किल है।अगर सरकारी अस्पताल में गायनी स्पेशलिस्ट न हो तो फिर तो उन्हें सिजेरियन करवाने की हालत में बाहर से ही करवाने को मजबूर होना पड़ता है, हालांकि सरकार द्वारा शुरू की गई आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के तहत कार्ड होल्डर अपना इलाज या डिलीवरी प्राइवेट अस्पताल में भी निशुल्क करवा सकते हैं लेकिन इस योजना मे भी काफी लोग अभी तक शामिल नहीं हो पाए हैं जिनको काफी मुश्किल पेश आ रही है। उधर अबोहर में 4 -5 प्राइवेट नर्सिग होम है जहां रोजाना दो चार नार्मल डिलीवरी के अलावा 2 से 3 सिजेरियन केस होते ही हैं।

यह तो रोज का सवाल : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन दिलेर सिंह मुल्तानी ने कहा कि यह तो रोज का सवाल है। डॉक्टर की नियुक्ति करना तो सरकार का काम है। एसएमओ डॉ. अमिता चौधरी ने कहा कि इस बाबत उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है।


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