जो कौम शहीदों को नहीं रखती याद, मिट जाता है उसका वजूद
पुलिस प्रशासन ने शहीद पुलिस जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए पुलिस लाइन में राष्ट्रीय पुलिस दिवस मनाया।
जागरण संवाददाता, फिरोजपुर : पुलिस प्रशासन ने शहीद पुलिस जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए पुलिस लाइन में राष्ट्रीय पुलिस दिवस मनाया। इसमें पुलिस जवानों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। इससे पहले पुलिस जवानों और शहीद जवानों के परिवारों को सम्मानित भी किया गया। आइजी व पुलिस उच्चाधिकारियों ने शहीदों को फूल मालाएं अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। स्पेशल ब्रांच के एसपी (डी) बलजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब पुलिस का गौरवशाली इतिहास है। पंजाब पुलिस ने देश की एकता, अखंडता और भाईचारक सांझ बरकरार रखने और देश में अमन-शांति के लिए कुबार्नियां दी हैं, जिनको कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। जो कौमें अपने शहीदों को याद नहीं रखतीं वे खत्म हो जाती हैं।
डीएसपी सतनाम सिंह के नेतृत्व में पुलिस जवानों ने हथियार उलटे करके सलामी दी। सभी अधिकारियों और मेहमानों ने दो मिनट का मौन रखा। शहीद परिवारों के सदस्यों को सम्मानित भी किया गया। कमिश्नर फिरोजपुर डिवीजन सुमेर सिंह गुर्जर, आइजी बी. चंद्र शेखर, एडीशनल सेशन जज सचिन शर्मा और एडीशनल सेशन जज गुरनाम सिंह ने विशेष तौर पर शिरकत की। आईजी बी चंद्र शेखर ने कहा कि देश और सूबे की अमन-शांति के लिए शहादत देने वाले पुलिस जवानों को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। इस मौके एसपी (डी) अजय राज सिंह, डीएसपी गुरबचन सिंह, डीएसपी गुरजीत सिंह और लखविंदर सिंह समेत बड़ी संख्या में सिविल, होम गार्ड, शहीदों के परिवार और पुलिस अधिकारी उपस्थित थे।
इस दिन के महत्व से मनाया जाता है राष्ट्रीय पुलिस दिवस
21 अक्टूबर, 1959 को चीन के विरुद्ध लड़ाई के दौरान लेह-लद्दा़ख के होंट सप्रिग इलाकों में तैनात जवानों की टुकड़ी पर चीनी सेना ने हमला कर दिया। इसमें भारतीय पुलिस के 10 जवान शहीद हो गए थे। फिर 1960 में समूह स्टेटों के आइजीपी की कॉन्फ्रेंस में फैसला लिया कि हर साल देश के सभी जिलों में 21 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जाएगा।
राज्य के 1784 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने दी शहादत
पंजाब में कुल 1784 पुलिस अधिकारी/कर्मचारी शहीद हुए थे, जिनमें डीआईजी 2, एसएसपी 3, एसपी 4, डीएसपी 12, इंस्पेक्टर 32, सब इंस्पेक्टर 61, एएसआई 111, हवलदार 268, सिपाही 817, होम गार्ड वालंटियर 294 और एसपीओ 180 ने देश की एकता और अखंडता बरकरार रखते हुए अपनी, कीमती जानें कुर्बान की थीं। इनमें से 44 कर्मचारी फिरोजपुर से सबंधित थे, जिनमें से सब इंस्पेक्टर 1, एएसआई 4, एचसी 11, सिपाही 7, एसपीओ 5 और पीएसजी 16 शामिल थे।