फिरोजपुर के पिछड़ेपन का दाग मिटाना सुखबीर के लिए चुनौती
प्रतिष्ठिा बचाने के लिए फिरोजपुर संसदीय क्षेत्र से लड़ा गया चुनाव सुखबीर बादल की जीत के बाद और भी चुनौतियों भरा हो गया है। सुखबीर बादल केंद्र सरकार में किसी पद आदि पर बैठकर लाख बचना चाहे लेकिन वह फिरोजपुर के लिए पिछड़े क्षेत्र के नाम के धाग को धोने के लिए बाध्य रहेंगे। हालांकि यह इतना आसान नहीं है क्योंकि सुखबीर से पहले दस साल तक लगातार शेर सिंह घुबाया शिअद पार्टी के बैनर तले फिरोजपुर हलके के सांसद रहे हैं।
अमनदीप सिंह, फिरोजपुर : प्रतिष्ठिा बचाने के लिए फिरोजपुर संसदीय क्षेत्र से लड़ा गया चुनाव सुखबीर बादल की जीत के बाद और भी चुनौतियों भरा हो गया है। सुखबीर बादल केंद्र सरकार में किसी पद आदि पर बैठकर लाख बचना चाहे, लेकिन वह फिरोजपुर के लिए पिछड़े क्षेत्र के नाम के धाग को धोने के लिए बाध्य रहेंगे। हालांकि यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि सुखबीर से पहले दस साल तक लगातार शेर सिंह घुबाया शिअद पार्टी के बैनर तले फिरोजपुर हलके के सांसद रहे हैं।
इन सब बातों में सबसे महत्वपूर्ण यह भी है कि सुखबीर को राज्य में कांग्रेस होने के कारण किसी प्रकार की मदद न मिलने के कारण कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और यह चुनौती इसलिए और भी ज्यादा कड़ी हो जाती है, क्योंकि प्रदेश में उनकी दो सीट ही निकल पाई है। ऐसे में केंद्र सरकार से फिरोजपुर के लिए प्रोजेक्ट लाने और प्रोजेक्ट लगाने इतने आसान नहीं होंगे।
बॉर्डर खुलवाना बड़ा काम
शेर सिंह घुबाया भी इस बात का दावा करते रहे हैं कि सांसद रहते हुए उन्होंने फिरोजपुर हुसैनीवाला बार्डर कारोबार के लिए खुलवाने के लिए कई बार आवाज उठाई, लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ सकी। जबकि इस बार सुखबीर बादल ने बेरोजगारी खत्म करने, विकास करने सहित अन्य सुविधाएं मुहैया करवाने के जनता के साथ वादों किए है और इन्हीं वादों के दम पर जनता ने उन्हें सांसद बनाया है। स्थानीय स्तर पर फिरोजपुर हलके की कच्ची नहरों को तो पक्का किया जा सकता है, सड़कें आदि बनवाई जा सकती है, लेकिन इन सबसे बावजूद सबसे अहम मुद्दों में बार्डर खुलवाना, इंडस्ट्री लाना, रोजगार के लिए फैक्टरी लगाना, ग्रामीणों की कंटीली तार से पार जाती जमीन का किसानों को मुआवजा देना बहुत मुश्किल होगा।
इंडस्ट्री लगाना भी चुनौती
सीमावर्ती हलका होने के कारण बाहरी राज्यों की कंपनियां बॉर्डर एरिया में पैसा लगाने से कतराती है, क्योंकि पंजाब में डीजल, पेट्रोल, बिजली आदि जहां महंगा है वहीं काम करने के लिए लेबर भी नहीं मिलती है। यहां तक कि फिरोजपुर के ग्रामीण बड़ी संख्या में रोजगार के लिए शहरों में जाते हैं। सुखबीर बादल अगर कंपनियां लाने की सोचते हैं तो उन्हें केंद्र सरकार से नरेंद्र मोदी का अपने ऊपर हाथ चाहिए होगा। तभी जाकर कुछ हल हो सकेगा।
विकास की झड़ी लगा देने वाले किए वादे
सुखबीर बादल फाजिल्का में रैली के दौरान यहां तक कह चुके है कि एक साल के लिए फाजिल्का दे दो, ऐसा नक्शा बदल दूंगा, जैसे लगेगा कि शोरूम से अभी-अभी नई गाड़ी निकली है। जलालाबाद की तर्ज पर सड़कें बनाने की बात कही। फिर जलालाबाद में अपनी रैलियों के दौरान गांवों के लिए के लिए सुविधाओं से युक्त कॉलोनियां बनाने का ऐलान भी कर चुके है। बीते दिन मतगणना के बाद फिरोजपुर में रोड शो करते हुए सुखबीर बादल ने नहर को पक्का करवाने, इंडस्ट्री लगाने, बार्डर खुलवाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर बात करने का भरोसा दिलाया है।
पहले की तरह कुंडी लगा पाएंगे लोग और बिना नंबर दौड़ेगा मोटरसाइकिल
चुनाव प्रचार के दौरान सुखबीर कई बार ये कह चुके हैं कि राज्य में शिअद की सरकार होने पर लोग कुंडी लगा लेते थे और अफसर पूछने तक नहीं आते थे, लेकिन अब बिजली के बिल इतने ज्यादा आ रहे हैं कि लोगों की कमर टूट गई है। सुखबीर कहते रहे है कि उनकी सरकार आने पर उन्हें काफी राहत मिलेगा। क्या सुखबीर के सांसद बनने के बाद लोग कुंडी लगा पाएंगे या फिर बिना नंबर सड़क पर युवा मोटरसाइकिल दौड़ा पाएंगे। ये सवाल उनकी जीत के बाद खड़े हो रहे है।
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