दिल्ली न रहे दूर, इसलिए क्रातिकारियों ने फिरोजपुर में बनाया था गुप्त ठिकाना
::जय हिंद: गौरव गाथा:: -तूड़ी बाजार स्थित गुप्त ठिकाने से ही वेश बदलकर क्रातिकारी चलाते थे गि
::जय हिंद: गौरव गाथा::
-तूड़ी बाजार स्थित गुप्त ठिकाने से ही वेश बदलकर क्रातिकारी चलाते थे गतिविधिया
-लाहौर षड्यंत्र केस में फिरोजपुर के 19 गवाहों के बयान से खुला गुप्त ठिकाने का राज
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प्रदीप कुमार सिंह, फिरोजपुर: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान फिरोजपुर शहर के तूड़ी बाजार (मोहल्ला शाहगंज) स्थित दो मंजिला इमारत आजादी के मतवालों का ठिकाना रही। क्रातिकारियों ने इस इमारत को 10 अगस्त 1928 से 9 फरवरी 1929 तक गुप्त ठिकाने के रूप में प्रयोग किया था। इतिहासकार राकेश कुमार बताते हैं कि लाहौर षंडयंत्र केस के दस्तावेजों व केस में फिरोजपुर के 19 गवाहों के बयानों से यह बात साफ होती है कि क्रातिकारियों ने तूड़ी बाजार की दो मंजिला इमारत को इसलिए क्रातिकारी गतिविधियों के संचालन के लिए चुना था, ताकि वह आसानी से दिल्ली, लाहौर व कलकत्ता तक आ-जा सकें। इसका कारण यह था कि आवागमन के लिए रेलगाड़ी की सुविधा फिरोजपुर से ही उपलब्ध थी। इसी ठिकाने से आदोलन के दौरान प्रयोग होने वाले असलहे, पुस्तकें व अन्य सामानों को एकत्र कर आगे भेजा जाता था। भगत सिंह के पास से जो पिस्तौल बरामद हुई थी, उसे इस ठिकाने पर कई बार देखा गया था। यहीं पर क्रातिकारी निशानेबाजी का अभ्यास करते थे। निगम फार्मेसी के नाम से किराये पर ली गई थी इमारत
क्रातिकारी डॉ. गया प्रसाद ने इस इमारत को निगम फार्मेसी के नाम से किराये पर लिया था। इसमें वह डॉ. निगम के नाम से प्रैक्टिस करते थे। दिखाने के लिए नीचे दवाखाना चलता था, जबकि ऊपरी मंजिल पर क्त्रातिकारी गतिविधिया संचालित होती थी। इस ठिकाने पर भगत सिंह व चंद्रशेखर जैसे कई अन्य नामी क्रातिकारी रहे थे। ये लोग यहीं से वेश बदलकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आवागमन करते थे। धोती व कमीज पहनकर दिल्ली गए थे भगत सिंह
राकेश कुमार के मुताबिक क्रातिकारी जय गोपाल ने अदालत में अपने बयान में कहा था कि सुखदेव के आने पर उन्होंने, क्रातिकारी डॉ. निगम और सुखदेव ने भगत सिंह के बाल व दाढ़ी काटी थी। फिर वह यूपी के परिधान धोती व कमीज पहनकर दिल्ली गए थे। क्रातिकारियों ने रखे थे उपनाम
क्रातिकारी शिव वर्मा ने अपना नाम राम नारायण कपूर एवं बड़े भाई साहब रखा था। क्रातिकारी विजय कुमार सिन्हा ने बच्चू, महाबीर सिंह ने प्रताप सिंह, चंद्र शेखर आजाद ने पंडित जी व जय गोपाल ने अपना नाम गोपाल रखा था। सुखदेव को बलेजर के नाम से पुकारा जाता था। क्रातिकारी प्रेम दत्त ने भी बनाया था फिरोजपुर में गुप्त ठिकाना
क्रातिकारी पार्टी ने एक और क्रातिकारी प्रेम दत्त को मार्च 1929 के अंत में फिरोजपुर में टाइप सीखने के लिए भेजा था। वह फिरोजपुर शहर स्थित कूचा पटवारिया में लगभग 25 दिन किराये पर रहे थे। दत्त से मिलने के लिए एक और क्रातिकारी किशोरी लाल 12 अप्रैल को आए थे। बाद में किशोरी लाल के लाहौर में पकड़े जाने की सूचना मिलने पर प्रेम दत्त उसी समय लाहौर रवाना हो गए। वहा गोवाल मंडी, लाहौर के उत्तम निवास हाउस में पार्टी के गुप्त ठिकाने से किताबें व अन्य सामान लेकर अपने घर गुजरात चले गए थे। गिरफ्तार होने पर दत्त ने अपने बयान में माना था कि वह फिरोजपुर में टाइप सीखने गए थे। फिरोजपुर शहर के गवाह राम लाल, मुकंद लाल, बसाऊ राम व रोशन लाल ने दत्त की शिनाख्त की थी कि वह फिरोजपुर आए थे। दत्त के पास पड़ोसी राम लाल से उधार ली दो पुस्तकें भी गुजरात से बरामद हुई थीं।
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