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हरिके पत्तन में अनोखे मेहमान का बसेरा, पानी में इनकी कुलाचे कर देगी मुग्‍ध

हरिेके पत्‍तन वेटलैंड में आना अब बेहद रोमांचक अनुभव होगा। यहां अनोखे मेहमानों ने डेरा बसा लगा लिया है। पानी में कुलाचे भरती दुर्लभ इंडस डॉल्फिन अब पर्यटकाें का स्‍वागत करेंगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 13 May 2018 05:41 PM (IST)Updated: Mon, 14 May 2018 09:03 PM (IST)
हरिके पत्तन में अनोखे मेहमान का बसेरा, पानी में इनकी कुलाचे कर देगी मुग्‍ध
हरिके पत्तन में अनोखे मेहमान का बसेरा, पानी में इनकी कुलाचे कर देगी मुग्‍ध

प्रदीप कुमार सिंह, हरिके पत्तन (फिरोजपुर) :  पंजाब के हरिके पत्‍तन वेटलैंड में आना अब खास हो गया है। यह अब बेहद खास मेहमान का ठिकाना बन गया है। ये खास मेहमान आपको लुभाएंगे और रोमा‍ंचक अनुभव देंगे। हरिके पत्‍तन वेटलैंड में भारत में विलुप्त प्राय जलीय जीव-जंतुओं में शामिल इंडस डॉल्फिन का बसेरा हो गया है। यहां इनकी संख्‍या में अब एक दर्जन के करीब पहुंच गई है। यहां पानी में कुलाचे मारती यह डॉल्फिन लोगों का मनमाेह रही हैं।

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2008 में पहली बार हरिके पत्तन में दिखाई दी थी इंडस डॉल्फिन

भारत-पाकिस्‍तान बंटवारे के बाद 2008 में पहली बार हरिके पत्तन वैटलैंड में यह डॉल्फिन देखी गई थीं। मई के पहले सप्ताह में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया व पंजाब वन्य-जीव विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किए गए सर्वे में हरिके पत्तन में आठ से 11 इंडस डॉल्फिन होने की पुष्टि हुई है। यह वन्‍य जीव प्रेमियों व अधिकारियों के संग-संग पर्यटक के लिए भी खुशखबरी है। इससे यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्‍मीद है।

व्यास नदी के 50 किमी हिस्से को नो फिसिंग जोन घोषित किया

इंडस डॉल्फिन हरिके पत्तन के व्यास नदी के हिस्से में है और इनका प्रवास हरिके पत्तन से 15 किलोमीटर आगे तक देखा गया है। ऐसे में पंजाब वन्य-जीव विभाग द्वारा इन्हें संरक्षित करने को अमृतसर में व्यास नदी पर बने पुल से लेकर हरिके पत्तन तक 50 किलोमीटर के हिस्से को नो फिशिंग जोन घोषित कर दिया गया है। पंजाब वन्य-जीव विभाग के दो महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट (इंडस डॉल्फिन व घडिय़ाल) हरिके पत्तन के व्यास दरिया वाले हिस्से में चल रहे हैं।

हरिके पत्‍तन में कुंचाले भर रहा इंडस डाॅल्फिन।

वन्य-जीव विभाग के चीफ प्रिंसिपल कंजरवेटर कुलदीप कुमार के मुताबित इंडस डॉल्फिन सिंधु नदी में पाकिस्तान के हिस्से में पाई जाती है। आजादी के बाद 2008 में पहली बार भारत में इस डॉल्फिन को हरिके पत्तन में देखा गया था, तभी से इन्हें सरंक्षित करने की दिशा में काम चल रहा है। अब विभाग का प्रयास रंग लाया है। बीते सप्ताह डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया व उनके विभाग द्वारा संयुक्त सर्वे के दौरान इनकी संख्या आठ से 11 के बीच देखी गई है। यह खुशी की बात है। सर्वे के दौरान इंडस डॉल्फिन के दो छोटे बच्चे भी देखे गए हैं, जिससे यह पता चलता है कि इनकी ग्रोथ हो रही है।

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 86 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है हरिके पत्तन

व्यास-सतलुज के संगम पर स्थित हरिके पत्तन वन्य-जीव जल अभ्यारण्य 250 से अधिक देशी-विदेशी जीवों व पक्षियों के लिए देश-दुनिया में ख्याति प्राप्त है। अब डॉल्फिन व घडिय़ाल भी इसकी शोभा बढ़ा रहे हैं। पंजाब सरकार के घडिय़ाल व डॉल्फिन प्रोजेक्ट से पर्यटकों की संख्या बढऩे के आसार हैं।

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