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चन्नी की सरकार में फिरोजपुर से इकलौता मंत्री भी छीना

राज्य के नए मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी की सरकार से फिरोजपुर के लोगों को काफी उम्मीदें थी लेकिन इसके उलट लोगों की आशाओं पर ग्रहण लग गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 10:06 AM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 10:06 AM (IST)
चन्नी की सरकार में फिरोजपुर से इकलौता मंत्री भी छीना

तरूण जैन, फिरोजपुर : राज्य के नए मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी की सरकार से फिरोजपुर के लोगों को काफी उम्मीदें थी, लेकिन इसके उलट लोगों की आशाओं पर ग्रहण लग गया। लोगों को उम्मीद थी कि नई कैबिनेट में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की ओर से विधायक परमिदर सिंह पिकी या कुलबीर सिंह जीरा में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन फिरोजपुर के इकलौते मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी को भी मंत्री पद से हटाकर जिले के साथ पंजाब सरकार ने एक बार फिर सौतेला व्यवहार किया है।

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इससे पहले फिरोजपुर को हमेशा पंजाब की सल्तनत में एक कैबिनेट मंत्री मिलता था। चाहे पंडित बाल मुकंद शर्मा कैबिनेट मंत्री रहे या फिर जनमेजा सिंह सेखों। तब भी फिरोजपुर के विधायकों को सरकार में चीफ पार्लियामेंट सेक्रेटरी या फिर अन्य बड़े पदों पर सुशोभित किया जाता था और वह नेता यहां की समस्याओं को आसानी से सरकार दरबार में उठाते थे। लेकिन चन्नी की सरकार के गठन के बाद फिरोजपुर में कांग्रेस ने किसी भी चेहरे को बड़ी पावर न देकर लोगो की उम्मीदों पर पानी फेरा है। हाईकमान से थे पिंकी के अच्छे संबंध

परमिदर सिंह पिकी लगातार दूसरी बार विधायक रहे हैं और कांग्रेस हाईकमान से अच्छे संबंध होने के कारण लोगो को उनमें पंजाब की वजारत में जाने की पूरी आशा थी। वरिष्ठता के आधार पर पिकी को विधानसभा में लिया जा सकता था । वर्करों में निराशा का माहौल

कुलबीर सिंह जीरा युवा विधायक होने के साथ-साथ पंजाब की राजनीति में काफी सक्रिय रहे हैं। पिकी व कुलबीर दोनो ही पंजाब प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू व डिप्टी सीएम सुखजिदर सिंह रंधावा के करीबी माने जाते थे। रंधावा पिछले चार वषरें से फिरोजपुर की शिकायत निवारण कमेटी के चेयरमैन हैं। उसके बावजूद दोनो विधायकों का नाम कैबिनेट में न आने से वर्करो में भी अंदरूनी रूप से निराशा का माहौल है। कैप्टन के रणनीतिकार थे राणा सोढ़ी

राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी लगातार तीन बार गुरुहरसहाय से विधायक चुने गए और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह के खास रणनीतिकारों में एक माने जाते हैं। कैप्टन का करीबी होने का खमियाजा उन्हें चन्नी सरकार में भुगतना पड़ा।


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