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बिना फायर सूट और कर्मियों के अभाव में अग्निकांड से कैसे निपटेगा दमकल विभाग

दीवाली पर पटाखों से कई बार अग्निकांड की घटनाएं हो जाती हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 11:48 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 11:48 PM (IST)
बिना फायर सूट और कर्मियों के अभाव में अग्निकांड से कैसे निपटेगा दमकल विभाग
बिना फायर सूट और कर्मियों के अभाव में अग्निकांड से कैसे निपटेगा दमकल विभाग

जतिद्र पिकल, फिरोजपुर : दीवाली पर पटाखों से कई बार अग्निकांड की घटनाएं हो जाती हैं। इनसे निपटने के लिए फिरोजपुर दमकल विभाग के पास मात्र चार ऐसी गाड़ियां है। इनमें 12 हजार लीटर तक पानी की क्षमता है। इनमें दो गाड़ियां 5000 लीटर प्रति गाड़ी, एक में 2500 लीटर तो एक तंग गलियों के लिए छोटी गाड़ी हैं, जिसमें 300 लीटर पानी की क्षमता है। दो साल पहले एक मोटरसाइकिल भी मिला था, जिसे छोटी सी गली में भी ले जाया जा सकता है। बावजूद इसके इस समय मोटरसाइकिल एक शोपीस बना खड़ा है। बिना फायर सूट और कर्मचारियों के अभाव में अग्निकांड से निपटना दमकल कर्मचारियों के लिए चुनौती से कम नहीं है।

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दीवाली हो या फिर फसल की कटाई। फायर बिग्रेड का कमर कसना स्वभाविक है, क्योंकि एक तरफ जहां दीवाली पर अग्निकांड का घटना या पिर फसल की कटाई के बाद पराली को लगाई आग भड़क सकती है। इस पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग को पहले से ही मुस्तैद होना पड़ता है। मौजूदा समय में विभाग के लिए दो सब फायर अधिकारी, नौ फायर मैन दो लीडिग फायरमैन के साथ पांच ड्राइवर हैं। इनसे काम तो चलाया जा रहा है, जबकि करीब डेढ़ लाख की आबादी पर कम से कम एक गाड़ी के लिए चार फायरमैन व एक ड्राइवर होना लाजमी है।

अंग्रेजों के जमाने की बनी फायर ब्रिगेड के स्वरूप में बदलते समय के साथ कुछ अधिक नहीं बदला है। जिला प्रशासन और सरकारों की अनदेखी से दमकल कर्मी अपनी जान पर खेलने को मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें आज तक कोई फायर सूट नहीं मिला है। छह दशक बीत जाने के बावजूद कितनी सरकारें आई और चली गई, हालात पुराने ढर्रे पर हैं। एक लाख रुपये की कीमत वाला फायर सूट मुहैया नहीं करवाया जा सका है। करोड़ों रुपये फंड तो आता है, लेकिन वह सिर्फ वोट बैंक पक्का करने के लिए।

60 में से मात्र 22 हाईड्रेंट मिले

आग पर काबू पाने के लिए जमीन में लगाए 60 में से मात्र 22 हाईड्रेंट ही मिले हैं, जोकि सड़क से चार से पांच फीट नीचे हैं जिनका प्रयोग करना मुश्किल है। बाकी नेताओं की तरफ से विकास के नाम सूली टांग दिए गए हैं। कुछ हाईड्रेंट मिले हैं, वे भी पुराने सिस्टम के चलते कारगर नहीं रहे हैं, क्योंकि आग बुझाने के लिए करीब दस से 15 फीट तक पानी पहुंचाना होता है, लेकिन खराब व पुराने सिस्टम के चलते इन हाईड्रेंट में पानी का दबाव नहीं है।

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विभाग की ओर से तैयारियां पूरी हैं : सब फायर अफसर

सबफायर अधिकारी शिंद्रपाल सिंह व विनोद कुमार का कहना है कि अग्निकांड से निपटने के लिए तैयारियां पूरी हैं। उनकी तरफ से हर बार की तरह इस बार भी सरकार को फायर सूट के लिए लिखित रूप से भेजा गया है। उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनकी यह मांग जरूर पुरी होगी। पुराने सिस्टम की वजह से यदि पानी का प्रेशर पीछे से तेज है तो उनसे अच्छा काम लिया जा सकता है। क्विक रेस्पांस के एक गाड़ी है, जो शहर की तंग-गलियों में जल्द पहुंच सकती है।


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