गत वर्ष चार मामले दर्ज हुए इस वर्ष अब तक एक भी नहीं
ड्रैगन डोर पर लगाई गई पाबंदी महज कागजों तक सिमट कर रह गई है। यदि फिरोजपुर जिले की ही बात करें तो प्रत्येक वर्ष लाखों रूपये की चाइनिज डोर की खरीद-फरोख्त की जाती है, जबकि प्रशासन की तरफ से इस पर पाबंदी के आदेशों को ठेंगा दिखाकर चंद सिक्कों के लालच में चाइनिज डोर विक्रेता अपने इस धंधे को बैखोफ चला रहे है, और पुलिस व जिला प्रशासन के आदेशों की सरेआम धज्जिया उडाकर उन्हें पंगू बनने पर मजबूर कर देते है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि इतना सब कुछ होने के बावजूद गत वर्ष महज चार मामले मुकदमा नंबर 19, 20, 23, 24 में दर्ज किए गए। इन मामलों में चार लोगों को नामजद किया गया,
जतिंद्र ¨पकल, फिरोजपुर : ड्रैगन डोर पर लगाई गई पाबंदी महज कागजों तक सिमट कर रह गई है। यदि फिरोजपुर जिले की ही बात करें तो प्रत्येक वर्ष लाखों रुपये की चाइनिज डोर की खरीद-फरोख्त की जाती है, जबकि प्रशासन की तरफ से इस पर पाबंदी के आदेशों को ठेंगा दिखाकर चंद सिक्कों के लालच में चाइनिज डोर विक्रेता अपने इस धंधे को बेखौफ चला रहे है, और पुलिस व जिला प्रशासन के आदेशों की सरेआम धज्जिया उड़ाकर उन्हें पंगु बनने पर मजबूर कर देते हैं। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि इतना सब कुछ होने के बावजूद महज चार मामले में ही मुकदमा दर्ज किए गए। इन मामलों में चार लोगों को नामजद किया गया, जिन्हें मौके पर ही जमानत लेकर छोड़ दिया गया। भले ही इन चारों मामलों में केस अदालत में चल रहा है, लेकिन जमानत पर आए लोगों को देखकर चाइनिज डोर का धंधा करने वालों के हौंसले बुलंद हो चुके हैं, जिसके चलते पुलिस व जिला प्रशासन इस डोर पर मुकम्मल पाबंदी लगा पाने में असमर्थ साबित हो रहा है। जबकि इस बार अभी तक महज एक मामला दर्ज किया गया है, जिसमें 3 नंबर मुकदमा दर्ज किया गया है और इस मामले में 48 गट्टू पाबंद चाइनिज डोर बरामद की गई है।
-कानून की सख्ती ही ला सकती है इसमें सुधार-कानूनी माहिर-
पाबंदीसुदा चाइनिज डोर के मामले में एडवोकेट राकेश चावला व नील रत्न शर्मा का कहना है कि यह मामला 188 धारा के तहत दर्ज किया जाता है, जिसमें एक तो मौके पर ही जमानत लेकर उसे छोड़ दिया जाता है, भले ही इस के बाद केस अदालत में चलता रहता है, इस मामले में केस की सुनवाई और फैसले के बाद सजा का नाम मात्र प्रावधान है, जिसमें सजा के तौर पर मात्र 500 से 1000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है या जुर्माना न भरने की स्थिति में मात्र कुछ दिनों की कैद की सजा। जिसके चलते इस डोर का धंधा करने वालों के हौंसले हर बार बढ़ जाते है। इन कानूनी माहिरों का कहना है कि इसके अलावा यदि इस डोर पर मुकम्मल तौर पर पाबंदी लगानी है, तो एक तो कानून को पहले से सख्त करना पड़ेगा जबकि इसको लागू करने वाली पुलिस को पुरी इमानदारी से इसका पालन करवाना होगा। तभी जाकर ¨जदगियों से खेलने वाली इस चाइनिज डोर पर अंकुश लगाया जा सकता है।
-दोगुनी से भी अधिक कमाई होती है चाइनिज डोर में-
चाइनिज डोर में एक तरफ जहां बेचने वाले इस डोर को क्यों अधिक बेचना पंसद करते है और इसके बारे में सुत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसका मुख्य कारण यह माना जा रहा है कि दूसरी डोर की अपेक्षा इस डोर में दोगुनी से भी अधिक कमाई मानी जा रही है। सुत्रों के मुताबिक चाइनिज डोर के गट्टू मात्र 100 रूपये प्रति गट्टू से भी कम कीमत पर आता है, जिसे बाजार में कम से कम 250 से लेकर 350 या फिर बंसत पंचमी के त्योहार के एक दो दिन पहले 400 रूपये प्रति गट्टू के रेट पर भी बेंचा जाता है। जबकि अन्य दोगुनी डोर में इतनी कमाई नही होती है।