चंद गलियों के निर्माण के बाद रुका वार्ड का विकास
जतिन्द्र ¨पकल, फिरोजपुर : शहर के विकास के किए गए बड़े-बड़े दावे महज चुनावी दावे ही साबित हो रहे है। कु
जतिन्द्र ¨पकल, फिरोजपुर : शहर के विकास के किए गए बड़े-बड़े दावे महज चुनावी दावे ही साबित हो रहे है। कुछेक वार्डो को छोड़कर यदि देखा जाए तो प्रत्येक वार्ड में किसी न किसी तरह की समस्या बनी है। बिना भेदभाव के काम करने के दावों की मौजूदा समय में धज्जियां उड़ रही है, वार्ड नंबर-12 को देखकर। शहर के विकास के लिए किसी से भी भेदभाव किया जाएगा और शहर निवासियों की हर सुविधा का खयाल रखा जाएगा, यह दावा करने वाले नेताओं ने उनके वार्ड के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। यह कहना है वार्ड निवासी विजय आंनद, बावा, संजीव मोंगा, हरीश मोंगा का। उन्होंने वार्ड की समस्याओं के बारे में गुस्से का इजहार करते हुए कहा कि उनके वार्ड के साथ ऐसा व्यवहार इसीलिए किया जा रहा है, कि उनके पार्षद बीजेपी के जिलाध्यक्ष है। वार्ड निवासी नरेश व्रिज व राजीव शर्मा ने बताया कि वार्ड के किसी क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट का नामोनिशान नही है। जब इस बारे में वार्ड पार्षद से बात की जाती है, तो वह राजनीतिक मामला कहने के साथ बेबस दिखाई देते हैं। वहीं वार्ड की अधिकतर गलियां पुरानी व टूटी सड़कों के अलावा सीवरेज व वाटर सप्लाई की समस्या अक्सर बनी रहती है।
-पार्षद ने लगाया आरोप, वार्डवासियों के साथ किया जा रहा भेदभाव
पार्षद दे¨वदर बजाज का कहना है कि उनके वार्ड में पिछले वार्ड का मात्र 20 प्रतिशत हिस्सा रखा और बाकी सारा वार्ड नए क्षेत्र को मिलाकर दिया गया। यदि पिछले वार्ड की बात की जाए, तो उसमें एक रुपये काम नही रखा गया था, लेकिन इस वार्ड के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है, कि वार्ड निवासियों को जवाब देना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि वार्ड की कुछेक गलियों को मजबूरी के चलते बनवाया गया, लेकिन बाकी सारा काम जस का तस पड़ा है। अभी तक मुश्किल से 25 लाख की लागत का काम हुआ है, जबकि पचास लाख से भी अधिक का काम होना बाकी है। उन्होंने एमएलए ¨पकी के दावों पर व्यंग्य करते हुए कहा कि भले ही इस वार्ड का पार्षद बीजेपी का है, लेकिन शहर के लोगों ने तो उन्हें वोट डाली है। उन्होंने कहा कि भले ही विधायक ¨पकी उसके निजी कार्य न होने दें, लेकिन शहर के विकास के बारे में तो भेदभाव से ऊपर उठकर सोचे, क्योंकि वार्ड के काम जनता के काम होते है वह हमारे बारे में न सोच कर जनता के बारे में ही सोच ले।