जिले में निर्विरोध चुनी 644 पंचायतों पर खतरे के बादल
फिरोजपुर : जिले में निर्विरोध चुनी गई 644 पंचायतों पर अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ये संकट के बादल उन लोगों ने उत्पन्न किए, जो खुद के साथ अन्याय की बात करते हुए हाईकोर्ट पहुंचे थे। हाईकोर्ट के आदेश पर इन उम्मीदवारों को दोबारा से नामाकंन पत्र दाखिल करने का मौका मिला था। ऐसे लोगों को अपने नामाकन भरने के लिए 48 घटे का मौका दिया गया था।
प्रदीप कुमार सिंह फिरोजपुर : जिले में निर्विरोध चुनी गई 644 पंचायतों पर अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ये संकट के बादल उन लोगों ने उत्पन्न किए, जो खुद के साथ अन्याय की बात करते हुए हाईकोर्ट पहुंचे थे। हाईकोर्ट के आदेश पर इन उम्मीदवारों को दोबारा से नामाकंन पत्र दाखिल करने का मौका मिला था। ऐसे लोगों को अपने नामाकन भरने के लिए 48 घटे का मौका दिया गया था। इस समय के दौरान 451 लोगों ने आवेदन किया।
वीरवार दूसरे दिन भी जिला काप्लेक्स में जिला चुनाव अधिकारी व अन्य अधिकारियों के पास लोगों की भीड़ दिखाई दी। हालाकि यदि ये लोग चुनाव मैदान में ताल ठोंकने में सफल रहे तो उन लोगों के लिए यह निराशाजनक होगा, जिन्होंने एड़ी-चोटी का जोर लगा अपने लोगों को निर्विरोध निर्वाचित करवाया। अब सभी की निगाहें टिकी हुई हैं कि उनकी निर्विरोध घोषित पंचायत में कोई दावेदार आ न जाए। नेताओं की ओर से भी पहले घोषित होने के साथ ही अपने-अपने हलके में जो पंचायतें निर्विरोध नहीं चुनी जा सकी हैं, वहा पर सर्वसम्मति बनाने के लिए अब भी कोशिश जारी है।
फिरोजपुर देहाती विधानसभा क्षेत्र से काग्रेस विधायक सतकार कौर गहरी के क्षेत्र में उनके 64 सरपंच प्रत्याशियों के नामाकंन पत्र तकनीकी कमियों के कारण खारिज हुए थे। इसकी दोबारा से जाच करवाने व एक और मौका नामाकंन पत्र भरने के लिए देने की माग लेकर वह डिवीजनल कमिश्नर से मिली थी। इस दौरान उनके पति व काग्रेस नेता लाडी गहरी भी समर्थकों के साथ उपस्थित थे। विधायक ने अतिरिक्त जिला चुनाव अधिकारी पर रुपये लेकर उनके लोगों के नामाकंन पत्र खारिज करने का भी आरोप लगाया था। ऐसे में अब जबकि हाईकोर्ट के आदेश पर नामाकंन पत्र दोबारा से दाखिल करने का मौका मिला है तो वह खुश दिखाई दे रहे हैं।
विपक्षी दलों का आरोप अधिकारी भी सत्ताधारी दल के साथ कर रहे कदमताल
हालाकि दोबारा नामाकंन पत्र जमा करवाने के मिले मौके पर भी अकाली, भाजपा व आप नेता के खुश नहीं दिखाई दे रहे हैं। शिअद के एक नेता ने कहा कि उनके लोगों को न तो पहले नामाकंन पत्र दाखिल करने दिया गया और न ही अब दाखिल करने दिया जा रहा है, अधिकारी भी सत्ताधारी दल के साथ मिलकर कदमताल कर रहे है, जो कि दु:खद है, लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है, लेकिन ऐसा पंजाब में नहीं हो रहा है।