फैक्ट्रियों का गंदा पानी नदियों में तो नहीं फेंका जा रहा, जांट में जुटा सेहत विभाग
प्रदीप कुमार ¨सह, फिरोजपुर : नदियों के पानी को दूषित करने वाले फैक्ट्रियों के गंदे पानी की जांच सेह
प्रदीप कुमार ¨सह, फिरोजपुर : नदियों के पानी को दूषित करने वाले फैक्ट्रियों के गंदे पानी की जांच सेहत विभाग ने शुरू कर दी है। सेहत विभाग की टीम शराब, शुगर फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी की जांच कर रही है, कि वह कितना प्रदूषित है, उसके नदी में मिलने से नदी के जलीय जीव-जंतुओं व मानव को उसके सेवन से तत्कालिक व दीर्घकालीन कितना नुकसान पहुंचेगा। यह जांच गुरदासपुर के पास शुगर फैक्ट्री का ब्यास नदी में शीरा मिलने से अनगिनत मछली व दूसरे जलीय जीवों के मरने के बाद सेहत विभाग द्वारा शुरू की गई।
मंगलवार को सिविल सर्जन डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा गठित की गई टीम ने गांव शांदेहाशम स्थित ओसिस ड्रिस्लरी लिमिटेड फैक्ट्री की जांच की। जांच के दौरान टीम के सदस्यों ने फैक्ट्री के अंदर प्रयोग हो रहे पानी व प्रयोग उपरांत बाहर निकलने वाले गंदे पानी पड़ताल की गई, टीम के सदस्यों ने फैक्ट्री के पिछले हिस्से में जाकर गंदे पानी की निकासी को खोजा। फूड इंस्पेक्टर मं¨जदर ¨सह ढिल्लों व डॉ राकेश ने बताया कि फैक्ट्री में जांच के दौरान पाया गया कि फैक्ट्री में केवल बीयर बनाई जाती है, जिसका पूरा मैटेरियल बाहर से बनकर टैंक में आता है, ऐसे में ज्यादा पानी गंदा नहीं होता। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान फैक्ट्री के बाहर गंदा पानी निकलता हुआ कहीं से नहीं दिखाई पड़ा, उन्होंने बताया कि बुधवार को जीरा कस्बे की शुगर व शराब फैक्ट्रियों की जांच की जाएगी।
ब्यास नदी में शुगर मिल का केमिकल युक्त पानी मिलने से बड़ी संख्या में जलीय जीवों को नुकसान पहुंचा है, उक्त मुद्दे को देखते हुए प्रदेश सरका के वह सभी विभाग एलर्ट हो गए है, जिनका प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से किसी प्रकार से पानी से संबंध है। डॉ संजीव गुप्ता ने बताया कि अगले कुछ दिनों में सतलुज नदी के किनारे स्थित गांवों के पेयजल स्त्रोतों की जांच की जाएगी, क्योंकि पाकिस्तान की ओर से घूमकर भारत में आने वाली सतलुज नदी में इसी तरह का पानी आता ही रहता है, सैंपल की रिपोर्ट में क्या कुछ आता है, इसका खुलासा रिपोर्ट उपरांत ही हो सकेगा।