रोजाना 5500 युवाओं को जकड़ रही तंबाकूनोशी की लत
फिरोजपुर : तंबाकूनोशी से हर साल देश में 10 लाख लोगों की मौत हो रही है और हर रोज 5500 के करीब युवा तंबाकू खाने की लत में पड़ रहे हैं, जो गंभीर विषय है। यह बात सिविल सर्जन डॉ. सुरिंदर कुमार ने बुधवार को राष्ट्रीय तंबाकू कंट्रोल प्रोगाम के तहत सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल (लड़के) ममदोट में विद्यार्थियों को जागरूक करते हुए कही।
संवाद सूत्र, फिरोजपुर : तंबाकूनोशी से हर साल देश में 10 लाख लोगों की मौत हो रही है और हर रोज 5500 के करीब युवा तंबाकू खाने की लत में पड़ रहे हैं, जो गंभीर विषय है। यह बात सिविल सर्जन डॉ. सुरिंदर कुमार ने बुधवार को राष्ट्रीय तंबाकू कंट्रोल प्रोगाम के तहत सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल (लड़के) ममदोट में विद्यार्थियों को जागरूक करते हुए कही।
सेमिनार में विद्यार्थियों को तंबाकूनोशी के बुरे प्रभावों और इससे बचाव के साथ-साथ सरकार की तरफ से बनाए गए कोटपा एक्ट के बार में जानकारी दी गई। सीएचसी ममदोट की मेडिकल ऑफिसर डॉ. रेखा और जिला मांस मीडिया अधिकारी सुखमंदर ¨सह ने बच्चों को तंबाकू से होने वाली बीमारियों संबंधी जागरूक किया। डॉ. कुमार ने स्पष्ट किया कि तंबाकू खाने से जहां मुंह, फेफड़ों का कैंसर और अन्य रोग, हार्ट आदि की बीमारियां आ घेरती हैं, वहीं इसका सेवन करने वाली महिलाओं को दूसरी बीमारियों के साथ-साथ गर्भ धारण समय अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं द्वारा तंबाकू खाने से पैदा होने वाले बच्चों का भार कम होने या कोई अन्य बीमारी लगने का डर बना रहता है।
जिला मांस मीडिया अधिकारी और ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से कोटपा कानून बनाया गया है। इससे स्कूलों, कॉलेजों के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू वाली वस्तु बेचने पर पूर्ण पाबंदी है। ऐसा करने वाले के विरुद्ध कार्रवाई और जुर्माना भी हो सकता है। तंबाकू बेचने वाले दुकानदारों की तरफ से तंबाकू वाली पूड़ी पर इसकी हानियों से जानकार करवाती फोटो समेत जानकारी भी दिखानी जरूरी है, जिससे इसका इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को कुछ जानकारी मिल सके। 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तंबाकूनोशी की वस्तुएं बेचने पर पूर्ण पाबंदी है और ऐसा करने वाले को जुर्माने समेत कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।
बीईई अंकुश भंडारी ने कहा कि आज के दौर में हरेक बीमारी का इलाज संभव है और सेहत विभाग की तरफ से हरेक बीमारी का इलाज माहिर डॉक्टरों की तरफ से आधुनिक मशीनों के साथ किया जाता है। सरकारी अस्पतालों में पहुंच करने वाले मरीजों को जहां दवा के साथ ठीक करने की हर संभव कोशिश की जाती है, वहीं मानव को बीमारी की गिरफ्त में बाहर निकालने के लिए बीमारी के लक्षणों से जानकार करवाया जाता है।