12 रुपये प्रति किमी पर वेंटीलेटर एंबुलेंस देगी सुविधा
तीन माह से बिना चालक व नर्स खड़ी वेंटीलेटर एंबुलेंस का मुद्दा प्रमुखता के साथ उठाने के बाद प्रशासन पूरी तरह हरकत में है। डिप्टी कमिश्नर ने रेडक्रॉस व विभिन्न संस्थाओं के साथ मीटिग कर फैसला लिया कि ये एंबुलेंस मरीजों को 12 रुपये प्रति किलोमीटर के अनुसार बड़े शहरों के अस्पतालों में पहुंचाएगी। डीसी चन्द्र के मुताबिक जहां निजी एंबुलेंस मरीज को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए 10 से 12 हजार लेती है वहीं रेडक्रॉस की एंबुलेंस मात्र 3600 रुपये में रैफर करेगी। उन्होंने बताया कि अगर कोई ज्यादा गरीब है तो रेडक्रॉस या डिप्टी कमिश्नर की सिफारिश पर पैसे कम या माफ भी हो सकते हैं।
तरूण जैन, फिरोजपुर : तीन माह से बिना चालक व नर्स खड़ी वेंटीलेटर एंबुलेंस का मुद्दा प्रमुखता के साथ उठाने के बाद प्रशासन पूरी तरह हरकत में है। डिप्टी कमिश्नर ने रेडक्रॉस व विभिन्न संस्थाओं के साथ मीटिग कर फैसला लिया कि ये एंबुलेंस मरीजों को 12 रुपये प्रति किलोमीटर के अनुसार बड़े शहरों के अस्पतालों में पहुंचाएगी। डीसी चन्द्र के मुताबिक जहां निजी एंबुलेंस मरीज को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए 10 से 12 हजार लेती है, वहीं रेडक्रॉस की एंबुलेंस मात्र 3600 रुपये में रैफर करेगी। उन्होंने बताया कि अगर कोई ज्यादा गरीब है तो रेडक्रॉस या डिप्टी कमिश्नर की सिफारिश पर पैसे कम या माफ भी हो सकते हैं। प्रशासन द्वारा सरकारी के अलावा निजी अस्पतालों के डॉक्टरों की एंबुलेंस में लगी मशीनों की देखरेख की जिम्मेदारी लगाई है। वहीं व्यापार मंडल के प्रधान चन्द्रमोहन हांडा ने एंबुलेंस में टायर लगाने व राम शरणम आश्रम ने हरसंभव सहयोग देने की बात कही। प्रशासनिक अधिकारियों ने मेल नर्स स्टाफ निजी अस्पतालों को मुहैया करवाने के लिए कहा व उनका मानदेय रेडक्रॉस द्वारा अदा किया जाएगा।
तिथि फाइनल नहीं कर सके अधिकारी
25 जनवरी को उद्घाटन के बावजूद अभी तक एंबुलेंस ना चलना अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाता है। इतना ही नहीं, बेशक इसे चलाने के लिए प्रशासन ने कई फैसले लिए हो, लेकिन कब चलेगी। इसके बारे में कोई निश्चित तिथि घोषित नहीं की है। प्रशासन ने वेंटीलेटर एंबुलेंस को खरीदने में तो जल्दबाजी की, लेकिन इससे सम्बन्धित स्टाफ को रखने की प्रक्रिया काफी ढीली चल रही है।
पुलिस ने भी नहीं मुहैया करवाया था चालक
जब एंबुलेंस को हरी झंडी मिली थी, तब पुलिस विभाग द्वारा चालक मुहैया करवाने की बात कही थी, लेकिन विभाग ने जब चालक मुहैया ना करवाया तो अधिकारियों ने तीन माह चालक ना मिलने का हवाला देकर गाड़ी अपने पास खड़ी कर ली।