सूखे रंगों से खेलें होली, व्यर्थ न बहाएं पानी
फिरोजपुर होली के स्वागत के लिए जहां सभी बाजार सज गए हैं। रंगो की दुकानों पर भीड़ उमड़ने लगी है। समय के बदलते प्रभाव को देखते हुए सूखे गुलाल पर गीले व केमिकल रंग भारी पड़ रहे हैं। चाइनीज गुब्बारों व पिचकारी ने भी अपनी छाप छोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। रंग विक्रेता राहुल छारिया विनोद कुमार मोहित ने बताया कि इस बार होली बाजार में कई तरह की नई आइटमें आई हैं और युवा वर्ग के अलावा बच्चों में खरीदने का ज्यादा उत्साह पाया जा रहा है। बुद्धिजीवी लोगों का कहना है कि सूखे रंगों से इस त्योहार मनाया जाए।
संवाद सूत्र, फिरोजपुर : होली के स्वागत के लिए जहां सभी बाजार सज गए हैं। रंगो की दुकानों पर भीड़ उमड़ने लगी है। समय के बदलते प्रभाव को देखते हुए सूखे गुलाल पर गीले व केमिकल रंग भारी पड़ रहे हैं। चाइनीज गुब्बारों व पिचकारी ने भी अपनी छाप छोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। रंग विक्रेता राहुल छारिया, विनोद कुमार, मोहित ने बताया कि इस बार होली बाजार में कई तरह की नई आइटमें आई हैं और युवा वर्ग के अलावा बच्चों में खरीदने का ज्यादा उत्साह पाया जा रहा है। बुद्धिजीवी लोगों का कहना है कि सूखे रंगों से इस त्योहार मनाया जाए।
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कोस्ट
यह पर्व प्यार व विश्वास का है और सभी को आपसी प्रेम व सौहार्दपूर्ण तरीके से मनाना चाहिए। देश में पानी की कमी बढ़ गई है और इस पर्व पर हजारों गैलन पानी व्यर्थ बहाया जाता है। पानी बचाने के लिए सूखे गुलाल से ही होली खेलना श्रेष्ठ है।
रमेश शर्मा, प्रधान, खाटू श्याम नटवर मंडल।
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भगवान श्रीकृष्ण ने भी सूखे गुलाल से होली खेली थी और गीले रंग से होली खेलना हमारी सभ्यता नहीं है। लोगों को चाहिए कि फूलों से होली खेलने में तरजीह दे। पानी बचाने में सहयोग करें।
- गिरजेश अग्रवाल, शिक्षाविद।
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जब हम युवा थे तो सूखे गुलाल से ही होली खेलते थे, लेकिन आज कल आ रहे केमिकल वाले रंग ना तो जल्दी से उतरते है और चमड़ी को भी खराब करते है। युवा पीढ़ी को सूखे रंग ही प्रयोग करने चाहिए। सभी संस्थाओं को पानी बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
लालचंद गोयल, पूर्वाध्यक्ष अग्रवाल सम्मेलन।
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यह पर्व हमारी प्रकृति और भावना के साथ जुड़ा है। इसे दिखावे की तरह मनाने की बजाय आपसी प्यार व श्रद्धा से मनाना चाहिए। सभी को पानी रहित होली मनानी चाहिए।
आनंद सिगला, व्यापारी।
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कुछ लोग इस त्योहार को हुल्लड़बाजी के साथ मनाते है और कीचड़ फेंकना या फिर अंडे मारते हैं, जोकि बिल्कुल गलत है। तिलक लगाकर ही होली मनानी चाहिए।
-देवराज नरूला, प्रधान, पेंशनर्स एसोसिएशन।
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हम शुरू से ही इस पर्व को सावधानी से मनाने का समर्थन करते है। इस त्योहार को वृद्ध आश्रम, अनाथाश्रम व कुष्ठ आश्रम जाकर मनाना चाहिए और उन्हें अपनत्व का संदेश देकर आपसी प्यार फैलाना चाहिए।
-सतपाल खेड़ा, समाजसेवक।