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107 साल की हो गई उम्र, फिर भी सरपट दौड़ती है, जानें इसकी पूरी कहानी

107 साल की उम्र में भी यह सरपट दौड़ती है। वह जहां पहुंची है लोगाें को अपने साथ जाेड़ती है। 107 साल से पंजाब को उस पर नाज है। पंजाब मेल ट्रेन आज के ही दिन 107 साल पहले शुरू हुई थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 01 Jun 2019 07:33 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jun 2019 09:03 PM (IST)
107 साल की हो गई उम्र, फिर भी सरपट दौड़ती है, जानें इसकी पूरी कहानी
107 साल की हो गई उम्र, फिर भी सरपट दौड़ती है, जानें इसकी पूरी कहानी

फिरोजपुर, [प्रदीप कुमार सिंह]। 107 साल की हो गई, लेकिन राेज जैसे जवान हाे रही है। इस उम्र में भी सरपट दौड़ती है और लोग उसकी मतवाली चाल पर फिदा हैं। हम बात कर रहे हैं पंजाब मेल ट्रेन की। यह ट्रेन 107 साल पहले 1 जून को शुरू हुई थी और आज भी पटरी की रानी है। यह ट्रेन अविभाजित भारत में 1 जून 1912 को शुरू हुई थी। शुरूआत बंबई-पेशावर के मध्य दौड़ से शुरु हुई थी और आज पंजाब के फिरोजपुर कैंट से मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल तक चल रही है।

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107 साल पहले 1 जून 1912 को शुरू हुई थी चलना, फ्रांटियर मेल से भी 16 साल पुरानी है यह ट्रेन

यह रेलगाड़ी 107 साल में प्रवेश करने वाली फिरोजपुर रेल मंडल की पहली ट्रेन बन गई है। यह फिराेजपुर से सप्‍ताह में दो दिन शनिवार व बुधवार को रवाना होती है। फिरोजपुर मंडल रेलवे के एडीआरएम नरेश कुमार वर्मा का कहना है कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि पंजाब मेल इस मंडल की ट्रेन है। यह ट्रेन आजादी के पहले से अब तक पूरी तरह से सफलता पूर्वक चल रही है। ट्रेन अपनी सेवा व सुविधा में लगातार सुधार कर रही है और अब भी यात्रियों की पहली पसंद में शामिल है। उन्होंने बताया कि समय-समय पर जरूरत के अनुरूप ट्रेन में यात्री सुविधाओं व तकनीकों का बदलाव होता रहा है।

1 जून 1912 को बंबई-पेशावर के मध्य आवागमन हुआ था शुरू, अब फिरोजपुर से मुंबई के बीच दाैड़ती है

पंजाब मेल की शुरुआत 1 जून 1912 में हुई थी। तब यह मुंबई के बल्लार्ड पियर से पेशावर तक जाती थी। यह रेलगाड़ी विशेष रूप से ब्रिटिश अधिकारियों, सिविल सेवकों और उनके परिवारों को बंबई से दिल्ली और फिर ब्रिटिश भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत तक ले जाने के लिए चलाई गई थी। 1914 में इसका शुरुआती स्टेशन बदलकर मुंबई विक्टोरिया टर्मिनल कर दिया गया, जिसे अब छत्रपति शिवाजी के नाम से जाता है। आजादी के बाद यह फिरोजपुर और मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल के मध्य चल रही है।   

शुरू में था कोयले का इंजन

शुरुआती दिनों में यह कोयले के इंजन से चलती थी और इसके कोच लकड़ी वाले होते थे। तब इसे पंजाब लिमिटेड के नाम से जाना जाता था। आजादी से पहले यह पेशावर, लाहौर, अमृतसर, दिल्ली, आगरा, इटारसी के बीच 2496 किलोमीटर का सफर तय करती थी। शुरू में इसे केवल अंग्रेज अफसरों व ब्रिटिश शासन के कर्मियों के लिए चलाया गया था, लेकिन 1930 में इसमें आम जनता के लिए भी डिब्बे जोड़ दिए गए।

1945 में लगाया गया एसी कोच

पंजाब मेल ट्रेन में1945 में पहली बार वातानुकूलित डिब्बे जोड़े गए। अभी इसमें एसी फ‌र्स्ट, एसी सेकेंड, एसी थर्ड के कुल आठ डिब्बे, 12 स्लीपर क्लास व चार जनरल क्लास के डिब्बे लगाए जाते हैं। यानि, इस ट्रेन में कुल कोचों की संख्या 24 होती है। अब यह ट्रेन मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से फिरोजपुर कैंट स्टेशन तक जाती है। यह करीब 1930 किलोमीटर का सफर 34 घंटे 15 मिनट में पूरा करती है। पंजाब मेल प्रसिद्ध ट्रेन फ्रंटियर मेल से भी 16 साल पुरानी है। 

शुरूआत में 47 घंटों में पूरा करती थी 2496 किलोमीटर का सफर

1 जून 1913 से यह गाड़ी भाप इंजन के जरिए चलाई जाने लगी। यह गाड़ी उस समय 2496 किलोमीटर की दूरी 47 घंटों में पूरी करती थी। गाड़ी में छह डिब्बे होते थे जिनमें से तीन पैसेंजर, तीन डाक के सामान और चिट्ठियों के लिए होते थे। इसमें 96 यात्रियों को ले जाने की क्षमता थी। गाड़ी के हर डिब्बे में दो शयिकाएं होतीं थीं।

उच्च श्रेणी के यात्रियों के लिए बनीं शयिकायों में खानपान, शौचालय, स्नानघर की व्यवस्था होती थी। गाड़ी में गोरे साहबों (अंग्रज अफसरों) के सामान और उनके नौकरों के लिए अलग डिब्बे की व्यवस्था होती थी। देश में नियुक्ति पर आने वाले अंग्रेज अधिकारी मुंबई पहुंचने के बाद इसी गाड़ी से अपने तैनाती स्थलों तक जाते थे।

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