शहीदे आजम भगत सिंह: सत्ता के रवैये से संग्रहालय की हसरत रही अधूरी
शहीदे आजम भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियाें के गुप्त ठिकाने को संग्रहालय बनाने की लोगों की हसरत अब भी अधूरी पड़ी है। पंजाब सरकार ने इसकी घोषणा तो कर दी लेकिन कदम नहीं उठाया।
फिरोजपुर, [प्रदीप कुमार सिंह]। शहीदे आजम भगत सिंह के शहादत दिवस पर पूरा देश उनको याद कर रहा है। पंजाब की धरती को अपने इस सपूत की कुर्बानी पर नाज है, लेकिन यहां सत्ता का अलग ही मिजाज है। जिस धरती के लाल ने पूरी दुनिया में एक मिसाल कायम कर दी आैर अपनी शहादत से अंग्रेजी शासन को हिला दिया, उसके प्रति यहां बनीं सरकारों का रवैया उपेक्षा का ही रहा। शहीेदे आजम और अन्य क्रांतिकारियों के गुप्त ठिकाने काे संग्रहालय बनाने के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। सरकार ने घोषणा ताे कर दी लेकिन किया कुछ नहीं। गुप्त ठिकाने को संग्रहालय बनाने की हसरत अधर में रह गई और अब यह एक टीस बन गई है।
सरकार घोषणा के बाद मौन, क्रांतिकारियों का गुप्त ठिकाना रही इमारत पर है ट्रस्ट का कब्जा
फिरोजपुर शहर के तुड़ी बाजार स्थित क्रांतिकारियों के गुप्त ठिकाने को संरक्षित कर संग्रहालय बनाने की मांग जमीनी स्तर पर एक भी कदम आगे नहीं बढ़ सकी है। यह मांग पिछले कई वर्षों से उठ रही है। 23 मार्च 2017 को क्रांतिकारियों के परिजनों, पंजाब स्टूडेंट यूनियन और नौजवान भारत सभा ने संग्रहालय के लिए हाउसिंग बोर्ड कालोनी से गुप्त ठिकाने तक मार्च निकाला था। इसमें हजारों लोगों ने भाग लिया था। इसके बाद सरकार ने घोषणा तो कर दी लेकिन एक साल बाद भी जमीनी स्तर पर काम नहीं हुआ।
साल भर पहले क्रांतिकारियों के परिजनों और पीएसयू ने निकाला था मार्च
बता दें कि गत वर्ष हुसैनीवाला में भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के समाधि स्थल पर कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने उक्त इमारत को सरंक्षित कर संग्रहालय के रूप में विकसित करने के लिए ग्रांट जारी करने की घोषणा की थी। लेकिन अभी पहले की तरह उक्त इमारत पर कुछ लोगों कब्जा ही है।
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इसी ठिकाने में बैठकर क्रांतिकारी देश को आजादी दिलाने की रणनीति बनाते थे। फिरोजपुर रेलवे स्टेशन से देश के कोने-कोने में क्रांतिकारी आसानी से आवागमन करते थे, इसीलिए इसे गुप्त ठिकाने के रूप में प्रयोग किया जाता था। इस ठिकाने से ही उस समय की सभी क्रांतिकारी गतिविधियां संचालित होती थीं। फांसी का पहला अंक और कई क्रांतिकारियों की जीवनियां भी यहीं पर लिखी गईं थीं।
लाहौर केस के मुकदमें में भुगताए गए डेढ़ दर्जन से अधिक गवाहों से उक्त इमारत की पुष्टि होती है। शिरोमणि अकाली दल (ब) की सरकार ने उक्त गुप्त ठिकाने को यादगार बनाने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। अब उक्त इमारत को पुरातन विभाग कब्जे में लेगा। प्रदेश सरकार ने शहीदों की यादगार बनाने पर ध्यान नहीं दिया।
पीएसयू के प्रांतीय अध्यक्ष राजिंदर सिंह ने कहा कि उक्त मांग को लेकर संगठन 28 मार्च को प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर सरकार को ज्ञापन सौंपेगा। डीसी रामवीर ने कहा कि क्रांतिकारियों के गुप्त ठिकाने की मालकियत एक ट्रस्ट के पास है। ट्रस्ट उक्त इमारत पर अपना मालिकाना हक जता रहा है, ट्रस्ट द्वारा जैसे ही अपना मालिकाना हक छोड़ा जाता है वैसे ही वह इमारत को संग्रहालय के रूप संरक्षित करने की दिशा में काम करना शुरू कर देंगे।
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मनप्रीत बादल आज अर्पित करेंगे शहीदों को श्रद्धांजलि
हुसैनीवाला बॉर्डर (फिरोजपुर) : शहीदों की समाधि स्थल पर 23 मार्च को हो रहे राज्य स्तरीय श्रद्धांजलि समागम के मुख्य मेहमान वित्त मंत्री मनप्रीत बादल हैं।
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खटकड़कलां से सीएम आज करेंगे नशे के खिलाफ दूसरी मुहिम का ऐलान
नवांशहर : सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह आज नशे के खिलाफ शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़कलां से नशे के खिलाफ दूसरी जंग का एलान करेंगे। पहले साल उन्होंने सरकार बनते ही टास्क फोर्स गठित करके नशा के खिलाफ अभियान चला. थे। अब अभियान के तहतदूसरे साल की शुरुआत में ही में ड्रग अब्यूज प्रीवेंशन आफिसर (डेपो) को लांच कर रहे हैं। इसके तहत प्रदेश भर में अभी तक तीन लाख डेवो वालंटियर्स बनाए गए हैं। शहीदी समागम पर लाखों युवकों, आम लोगों और सरकारी कर्मचारियों को शपथ दिलाकर इस मुहिम की शुरुआत की जाएगी।