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फिरोजपुर में नेटवर्क की दिक्कत थी, फिर भी शिक्षा की लौ जलाते रहे डा. सतिंद्र सिह

किसी के भविष्य के निर्माण में दो बातें सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती हैं उनमें एक घर से मिले संस्कार व दूसरा अध्यापकों से मिली शिक्षा। इसके बलबूते पर कोई भी हर उंचाई को छू सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 09:32 AM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 09:32 AM (IST)
फिरोजपुर में नेटवर्क की दिक्कत थी, फिर भी शिक्षा की लौ जलाते रहे डा. सतिंद्र सिह
फिरोजपुर में नेटवर्क की दिक्कत थी, फिर भी शिक्षा की लौ जलाते रहे डा. सतिंद्र सिह

जतिंद्र पिकल, फिरोजपुर : किसी के भविष्य के निर्माण में दो बातें सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती हैं उनमें एक घर से मिले संस्कार व दूसरा अध्यापकों से मिली शिक्षा। इसके बलबूते पर कोई भी हर उंचाई को छू सकता है। अपने काम को अपना फर्ज समझकर शिक्षा को उन बच्चों तक भी पहुंचाया, जहां तक किसी का पहुंच पाना बेहद मुश्किल माना जाता रहा। हम बात कर रहे हैं शिक्षा के क्षेत्र में नाम कमाने वाले नेशनल अवार्डी डा. सतिंद्र सिंह की। उन्होंने शिक्षा को हर बच्चे तक पहुंचाने की जैसे कसम खा रखी हो।

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लाकडाउन में किस तरह से शिक्षा को बच्चों तक पहुंचाया

लाकडाउन में सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि कोविड जैसी भयानक बीमारी से बचने के लिए नियमों का पालन भी जरूरी है। इसके चलते कहीं आना-जाना नहीं था जबकि इसके साथ ही बच्चों की शिक्षा भी जारी रहे, इसके लिए सरकार ने कुछ रास्ता आसान बना दिया कि उनके स्कूल में 60 बच्चों को एंड्रायड फोन दे दिए। इसके चलते आनलाइन पढ़ाई को शुरू किया जा सका।

सरहदी क्षेत्र के कारण नेटवर्क की दिक्कत या अन्य मुश्किल

---सबसे बड़ी मुश्किल यही आई कि सरहद के साथ सटा होने के कारण वहां पर नेटवर्क की काफी दिक्कतें आई लेकिन इसके बावजूद वहां नेटवर्क सही रहने वाले आसपास के क्षेत्र को तलाश करके बच्चों को इकट्ठा करके आनलाइन पढ़ाई की शुरुआत की गई। जबकि हमारे मिशन स्टडी ग्रुप ने बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पांच-पांच बच्चों का ग्रुप बनाकर उन्हें एक मोबाइल दे दिया जाता था जिसके चलते आनलाइन शिक्षा के जरिये बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जा सके। ..लाकडाउन ने स्कूल के निर्माण कार्य को किया प्रभावित

शिक्षा विभाग से मिली 18 लाख की ग्रांट से स्कूल के कमरों का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया। इनमें तीन कमरे व अन्य निर्माण करवाना था लेकिन इसके बावजूद स्कूल के निर्माण में करीब 25 लाख की राशि खर्च करके स्कूल में पांच कमरों का निर्माण करवाया गया जबकि इसके साथ ही स्कूल को एक ऐसी बुलंदियों पर पहुंचाया गया कि मौजूदा समय में स्कूल के स्टाफ व बच्चों की मेहनत से इस स्कूल की मिसालें दी जाती हैं। लाकडाउन में भी स्कूल का स्टाफ डोर टू डोर लोगों को आनलाइन शिक्षा के प्रति जागरूक करता रहा वह बच्चों की एडमीशन को लेकर भी प्रत्येक अध्यापक ने अपना अहम रोल अदा किया।


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