घर की चिता छोड़ विद्यार्थियों पर दिया ध्यान
लाकडाऊन का एक वर्ष पूरा होने पर शिक्षा जगत में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है।
संवाद सूत्र, फिरोजपुर : लाकडाऊन का एक वर्ष पूरा होने पर शिक्षा जगत में काफी बदलाव देखने को मिले हैं। शिक्षको को जहां डिजिटल एजुकेशन का ज्ञान मिला तो वही उन्हें सोशल मीडिया पर एक्टिव होने का अवसर भी प्राप्त हुआ है। कोविड-19 जहां अनेकों को नई जिदगी जीने के गुर सीखा गया तो कुछ के जीवन पर नकरात्मक प्रभाव छोड़ते हुए अपने भी बिछुड़वा गया।
पिछले 26 वर्षो से शिक्षा दे रही प्रिसिपल आमना गुप्ता ने कहा कि कोरोना काल ने उनके जीवन पर काफी गहरा प्रभाव डाला है। वर्ष 1995 में उन्हें अपने अध्यापक जीवन की शुरूआत कामर्स लेक्चरार डीएवी कालेज जलालाबाद से की थी। आमना बताती है कि जब लाकडाऊन लगा तो उसे चिता हुई कि वह अब विद्यार्थियों को कैसे उच्च स्तरीय शिक्षा पहुंचाएंगे। उसके बाद उनके सामने आनलाइन एजुकेशन का विकल्प सामने आया। उन्होंने पहले खुद इसका देर रात तक जागकर ज्ञान हासिल कर अपने अध्यापकों को ट्रेंड किया और विद्यार्थियों को बिना रूके विभिन्न साधनों के माध्यम से आनलाइन शिक्षा मुहैया करवाई। प्रिसिपल आमना ने कहा कि कोरोना से पहले उनके जीवन का एक शेड्यूल था, लेकिन कोरोना काल में सुबह से रात तक विद्यार्थियों व अध्यापकों के साथ आनलाइन एजुकेशन में जुटे रहना और फोन पर विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान करना ही उनकी दिनचर्या बना रहा। इस बीच उन्होंने अपने घर की तरफ कम और विद्यार्थियों, स्कूल व अध्यापकों की तरफ ज्यादा ध्यान दिया ताकि किसी को कोई दिक्कत महसूस ना हो।
आमना ने बताया कि आनलाइन एजुकेशन के बाद उनकी सेहत पर भी काफी दुष्प्रभाव पड़ा। आंखों का कमजोर होना, मोटापा महसूस हुआ। लेकिन लाकडाउन उन्हें डिजिटल दुनिया की तरफ लाया कि स्कूल व घर से बाहर सोशल मीडिया में भी नया संसार बसा हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद विद्यार्थियों से फेस-टू-फेस सम्पर्क ना होने के चलते शिक्षा पद्वति में काफी गिरावट आई है, जिसे फिर से मजबूत करने की जरूरत है।