पंजाब की जड़ों में रच बस गया नशा, किसी को दोस्त तो किसी को जीवनसाथी ने लत लगाई
किसी युवती को नशा पति ने शादी के बाद लगाया तो किसी को पार्टी या दोस्तों ने। परिवारों को जब उसका पता चला तो उन्होंने शादी करवा दी।
जेएनएन, फिरोजपुर। पंजाब की जड़ों में नशा किस कदर रच बस चुका है, इसका अंदाजा विभिन्न जिलों के नशामुक्ति केंद्रों में पहुंच रही महिलाओं के आंकड़े से लगाया जा सकता है। इन केंद्रों में पहुंचने वाली महिलाएं नशीली गोलियों से लेकर चिट्टे व इंजेक्शन तक के नशे से ग्रस्त हैं। किसी को नशा पति ने शादी के बाद लगाया तो किसी को पार्टी या दोस्तों ने। परिवारों को जब उसका पता चला तो उन्होंने शादी करवा दी। ससुराल जाने के बाद उनकी इस लत का पता चला। अकेले फिरोजपुर में दो साल में 21 महिलाएं नशे का इलाज करवाने पहुंचीं।
ताजा मामला फिरोजपुर के ममदोट के एक गांव का है। यहां एक सप्ताह पहले एक महिला नवविवाहित होने की बात कह नशामुक्ति केंद्र में दाखिल हुई। उसके परिवार ने बताया कि शादी के अगले दिन ही बहू को नशे की तलब लगी तो उसने हंगामा कर दिया। चूड़ा उतारकर फेंक दिया। स्टाफ इस कहानी पर विश्वास नहीं कर रहा। उनके अनुसार जिस महिला को नई दुल्हन कहकर दाखिल करवाया गया, उसके हुलिये से कुछ ऐसा नहीं लगता कि शादी को एक या दो दिन हुए हैं। न मेहंदी थी और न चूड़ा पहना था। चेहरा देखकर भी ऐसा नहीं लगता था कि हाल ही में शादी हुई है। महिला को जब केंद्र में लाया गया तो उसके साथ एक छोटा बच्चा भी था। स्टाफ के पूछने पर ससुरालियों ने जेठ का बच्चा बताया, लेकिन वह महिला से एक पल भी दूर नहीं हो रहा था। उनके अनुसार वह महिला की काउंसलिंग कर रहे हैं। जल्द ही मामले से पर्दा उठेगा। दोनों परिवारों के लोग महिला के नशा करने की खबर से बदनामी होने से डर रहे हैं।
केस स्टडी एक : संगरूर
मजाक-मजाक में सिगरेट का कश लगाया, पहले स्मैक, फिर चिट्टे की लत लगी
संगरूर के नशामुक्ति केंद्र में तीन महिलाएं अब तक इलाज करवाने पहुंची हैं। उनमें से एक महिला ने बताया कि चंडीगढ़ में कॉलेज के समय एक युवक से दोस्ती हो गई। वह सिगरेट व स्मैक पीने का आदी था। मजाक-मजाक में एक-दो बार उसने भी सिगरेट के कश लगाने शुरू कर दिए। सिगरेट में क्या था पता नहीं, लेकिन कुछ महीनों बाद उसे स्मैक की लत लग गई। फिर लत चिट्टे के इंजेक्शन तक जा पहुंची। परिवार को पता चला तो पढ़ाई बीच में ही छुड़वाकर शादी कर दी। शादी के बाद दो दिन जैसे-तैसे गुजरे। उसके बाद चिट्टे के लिए घर से भागने जैसा कदम उठा लिया। रिश्ता टूटने की कगार पर था, लेकिन पति ने मेरा साथ दिया।
केस स्टडी दो : फतेहगढ़ साहिब
कहते थे-जिंदगी मिली है, हर किसी का स्वाद चखना चाहिए
फतेहगढ़ साहिब में पिछले दो साल में बीस के करीब महिलाएं नशे का इलाज करवाने पहुंची हैं। इनमें से अधिकतर छात्राएं हैं। इनको गल्र्स हॉस्टल से नशे की लत लगी। दो केस ऐसे हैं जिनमें छात्राओं ने कभी हेरोइन या स्मैक देखी तक नहीं थी। हॉस्टल में साथी छात्राओं ने मजबूर किया कि जिंदगी मिली है तो हर चीज का एक बार स्वाद चखो। उसी स्वाद ने उसे नशे में धकेल दिया। जिस दिन नशा नहीं मिलता, उस दिन बैड से भी नहीं उठ पाते थे। अब नशामुक्ति केंद्र से मिलने वाली गोली इनके जीवन का सहारा बनी है।
बाकी जिलों का ये हाल
नशा छुड़ाने के लिए पहुंच रही महिलाएं
पटियाला में भी चार महिलाओं का इलाज चल रहा है। वे मेडिकल नशा व शराब की आदी थीं। बठिंडा में हर महीने करीब आठ महिलाएं दवा लेने पहुंचती हैं। बरनाला के नशा छुड़ाओ केंद्र में 20 महिलाएं इलाज करवाने पहुंचीं। इनमें से दस का इलाज चल रहा है। वे हेरोइन व ट्रामाडोल के नशे की चपेट में थीं। जालंधर में दो साल में सात महिलाएं सामने आईं, जिनको मेडिकल नशे व चिट्टे की लत थी।
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