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अध्यापकों ने परीक्षा रद करने के फैसले का किया विरोध

बेशक सरकार की ओर से कोरोना के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर व बच्चों की सुरक्षा को अहम मानते हुए सीबीएसई की दसवीं की परीक्षा रद करने व बारहवीं की परीक्षाएं स्थगित करने का फैसला लिया है लेकिन इस फैसले को शिक्षाविद किसी हद सही नहीं ठहरा रहे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 10:24 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 10:24 PM (IST)
अध्यापकों ने परीक्षा रद करने के फैसले का किया विरोध
अध्यापकों ने परीक्षा रद करने के फैसले का किया विरोध

संवाद सहयोगी, अबोहर : बेशक सरकार की ओर से कोरोना के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर व बच्चों की सुरक्षा को अहम मानते हुए सीबीएसई की दसवीं की परीक्षा रद करने व बारहवीं की परीक्षाएं स्थगित करने का फैसला लिया है, लेकिन इस फैसले को शिक्षाविद किसी हद सही नहीं ठहरा रहे।

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ब्रह्मर्षि मिशन सीसे स्कूल की मैनेजिग डायरेक्टर दीदी ब्रह्मऋता ने कहा कि बेशक कोरोना के बढ़ते प्रकोप को लेकर सरकार की चिता जायज है लेकिन इसके कोई अन्य प्रकल्प भी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले कि परीक्षा के बिना ही बोर्ड कक्षाओं को प्रमोट करना जायज नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि इससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुझान कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि पहले ही करीब एक साल घरों में रहकर बच्चे पढ़ना लिखना भूल चुके हैं। सरकार को इसके अन्य विकल्प खोजने चाहिए व परीक्षा जरूर करवानी चाहिए।

डीएवी सीसे स्कूल की प्रिसिपल स्मिता शर्मा ने कहा कि इससे अब तो बच्चों का जो नुकसान हो ही रहा है आगे चल कर भी इसका नुकसान बच्चों को उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसका असर इंटेलीजेंट बच्चों पर अधिक पड रहा है। उन्होंने कहा कि इससे बच्चों में पढ़ने की रुचि कम होती जा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने जो फैसला किया है वो मानना तो पड़ेगा व सरकार ने भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर फैसला किया है तो सही ही किया होगा।

आंगनवाड़ी वर्करों ने मांगा नर्सरी टीचर का दर्जा संवाद सूत्र, जलालाबाद : आल इंडिया आंगनबाड़ी वर्कर व हेल्पर यूनियन एटक पंजाब के आह्वान पर आंगनबाड़ी वर्करों व हेल्परों ने बुधवार को सरकार का पुतला फूंक प्रदर्शन किया, प्रदर्शन की अगुवाई राज कौर ने की। इस मौके प्रांतीय सचिव सुनील कौर बेदी ने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से आंगनबाड़ी सेंटरों के बच्चों को नर्सरी कक्षा के नाम पर प्राइमरी स्कूलों में दाखिले करवा दिए गए हैं, जोकि आंगनबाड़ी वर्करों के साथ बेइंसाफी है।

उन्होंने मांग की कि आंगनबाड़ी सेटरों के बच्चे उन्हें वापस दिए जाएं व आंगनबाड़ी वर्करों को नर्सरी टीचर का दर्जा दिया जाए। उन्होंने कहा कि पंजाब के साथ लगते राज्य हरियाणा या राजस्थान में कहीं आंगनबाड़ी सेंटरों के बच्चे नहीं छीने गए। लेकिन पंजाब सरकार ने ऐसा कदम उठा आंगनबाड़ी वर्करों व हैल्परों में रोष पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि जल्द ही उनकी समस्या की तरफ ध्यान न किया गया तो संघर्ष तेज किया जाएगा। इस मौके आशा रानी, कैलाश रानी, गुडो बाई, रेणू बाला, बिमला रानी व अन्य उपस्थित थे।


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