पिछले साल जामुन के पौधों से लिया लाभ, अब लगाएंगे सुहाजना पौधे
जमीन की गर्मी और बरसात का पानी पीकर बढ़े होने वाले पेड़ पौधे ना केवल हमें जीने लायक सांस धूप से बचाने के लिए छाया देते हैं बल्कि यह लोगों व वन विभाग के लिए लाभ और राजस्व बढ़ाने का भी एक तरीका है।
मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : जमीन की गर्मी और बरसात का पानी पीकर बढ़े होने वाले पेड़ पौधे ना केवल हमें जीने लायक सांस, धूप से बचाने के लिए छाया देते हैं बल्कि यह लोगों व वन विभाग के लिए लाभ और राजस्व बढ़ाने का भी एक तरीका है। इसके बावजूद लोगों का ध्यान पेड़ पौधे लगाने की तरफ नहीं है। इस कारण शहरी क्षेत्र में तो पेड़ों की संख्या कम हो ही रही है, जबकि गांवों में लगाए पौधों की भी सही देखभाल न होने के चलते पौधे बढ़े होने से पहले ही नष्ट हो रहे हैं। पिछले साल वन विभाग ने जामुन के वृक्षों के जरिये राजस्व में बढ़ावा किया था, जबकि इस बार विभाग द्वारा सुहाजना के पौधे लगाए जा रहे हैं, जिससे बनने वाला अचार लोगों को प्रभावित कर रहा है।
फाजिल्का जिले की बात करें तो यहां पेड़ों की संख्या काफी कम है। भू-भाग पर केवल चार प्रतिशत जंगल व पेड़ हैं, जबकि इनका प्रतिशत सात से अधिक होना चाहिए। भले ही शहर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा पौधारोपण अभियान चलाया जाता है लेकिन संस्थाओं द्वारा ज्यादातर छाया और तुलसी के पौधे लगाए जाते हैं। जबकि कई पेड़ ऐसे हैं, जिनके लगाने से ना केवल फाजिल्का हरा भरा होगा, बल्कि वन विभाग व लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा। वन विभाग द्वारा तो इस बार सुहाजना के पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा विभाग द्वारा टाहली, नीम व अन्य पौधे भी बड़ी संख्या में रोपित किए जाएंगे, ताकि बड़े होने पर इसका लाभ उठाया जा सके। जबकि अब संस्थाओं को भी इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वह उन पौधों को रोपित करें जिससे उनको लाभ हो।
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सुहाजना के पौधे से लिया जाएगा लाभ
वन रेंज अफसर निशान सिंह ने बताया कि फाजिल्का जिले के अलग-अलग जगहों पर 300 जामुन के पेड़ लगाए गए थे। जिनसे विभाग को 75 हजार से अधिक का लाभ हुआ। लेकिन इस साल इनकी पैदावार ज्यादा नहीं हुई। इसके अलावा कुछ पौधे ऐसे हैं, जो यहां की मिट्टी के चलते बढ़ नहीं पाते। इसलिए विभाग द्वारा इस साल सुहाजना के पौधों के अलावा नीम, पीपल आदि के पौधे रोपित किए जांएगे। जिससे लाभ के साथ साथ फाजिल्का का वातावरण भी हरा हो सके।