श्रीकृष्ण की सुंदर झांकी ने सभी को किया मोहित
दुख निवारण श्री बाला जी धाम में अश्विनी मास पितृ पक्ष (श्राद्धों) के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमदभागवत कथा में भाई नरेश शर्मा द्वारा कथा की गई।
संवाद सूत्र, फाजिल्का : दुख निवारण श्री बाला जी धाम में अश्विनी मास पितृ पक्ष (श्राद्धों) के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में भाई नरेश शर्मा द्वारा कथा की गई। कथा के मुख्य यजमान सतीश सचदेवा, नंद लाल सिगला व दिनेश कटारिया थे, जिन्होंने परिवार सहित श्रीमद् भागवत का पूजन किया।
कथा में श्री राम जन्म एंव श्री कृष्ण जन्म के बारे में विस्तारपूर्वक देते भाई नरेश जी ने बताया कि भागवत महान पुराण के दशम सकदं के तीसरे अध्याय में भगवान श्री कृष्ण का जन्म व्यक्त किया। भगवान का प्रकट माता देवकी के गर्भ से हुआ। तब देवताओं ने मांगलिक स्तुति गाई और भगवान श्री कृष्ण जी का स्वागत किया। वासुदेव देव का जो प्रथम पुत्र हुआ उसका नाम कीर्तिमान था कंस ने उसे एक बार छोड़ दिया, लेकिन बाद में उसे फिर मार दिया, ऐसे करके देवकी के छ: पुत्रों को कंस ने मार डाला। जब देवकी के गर्भ से सातवां बालक आया तो भगवान को बड़ी चिता हुई तो भगवान जी ने सोचा कि सातवां बालक मेरे लक्ष्मण जी हैं और मेरे शेषनाग हैं परन्तु महाराज कंस ने जन्म लेते ही भगवान ने योग माया को बुलाया, इसी तरह भगवान का जन्म हुआ। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में संगत ने नाच-गाकर भगवान को स्तुति दी। भगवान श्रीकृष्ण की सुंदर झांकी जन्मोत्सव में प्रस्तुत की गई। इसके बाद नंद लाल सिगला, सतीश सचेदवा, महावीर प्रसाद मोदी, राकेश नागपाल, अश्वनी बांसल, विजय आर्या, विपल दत्ता, दया कृष्ण बब्बर, रोशन लाल भूसरी, दर्शन कामरा, सुभाष धूड़िया, जय लाल, किरण चौपड़ा, राकेश धवन, नरेश अरोड़ा, भारत भूषण गर्ग, स्वदेशी लाल पुजारा, रोशल लाल कुकरेजा आदि ने भगवान की आरती की गई। आरती उपरांत सभी भक्तों को प्रसाद के रूप में केसर दूध, पेड़े तथा फलों का प्रसाद सभी भक्तों में वितरित किया गया।