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पाक ने की थी फाजिल्का सेक्टर में हमले की भूल, जवानों ने चटाई थी धूल

गांव कादर बख्श 1971 भारत-पाक युद्ध का गवाह है। तीन दिसंबर 1971 को अचानक विमान आसमान में गरजने लगे। इस युद्ध में पाक को भारतीय जवानों ने धूल चटाई।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 02 Dec 2017 08:11 PM (IST)Updated: Sun, 03 Dec 2017 01:11 AM (IST)
पाक ने की थी फाजिल्का सेक्टर में हमले की भूल, जवानों ने चटाई थी धूल

जेएनएन, फाजिल्का। 'तीन दिसंबर 1971 को शाम करीब छह बजे का समय था। ढलती शाम में मीठी-मीठी ठंड का अहसास था। मैं और गांव कादर बख्श के कुछ लोग खेतों से अपना काम निपटा कर घर की ओर निकल पड़े थे। अचानक आसमान पर विमान गरजने लगे। बॉर्डर से पाकिस्तान सेना के टैंकों ने बमबारी शुरू कर दी। बॉर्डर साथ होने के कारण सबसे पहले निशाने पर हमारा ही गांव आया। जिस पल की उम्मीद नहीं थी वह एकाएक डरावना मंजर लेकर आ गया। लोग चिल्ला रहे थे, महिलाएं बच्चों को सीने से लगाकर भाग रही थी। पुरुष मवेशियों को बचाने के लिए उन्हें खूंटे से खोलने के लिए भाग रहे थे।'

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46 साल बाद शनिवार को गांव कादर बख्श के 90 वर्षीय बुजुर्ग वसावा राम 1971 के युद्ध का आंखों देखा हाल बयां करते हुए जहां पाक की नापाक  हरकत पर गुस्सा निकाला वहीं भारतीय सैनिकों की जांबाजी को जमकर सराहा। वसावा राम के अनुसार हमला होते ही करीब सात बजे बीएसएफ ने गांव में मुनादी करवाकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजना शुरू कर दिया और फिर पाक को मुंहतोड़ जवाब दिया।

बेरीवाला पुल पर हुआ था कड़ा संघर्ष

1971 में भारत की सेना बांग्लादेश बार्डर पर तैनात थी। इसका फायदा उठाकर पाकिस्तान ने फाजिल्का सेक्टर को कमजोर समझकर 3 दिसंबर की शाम को हमला बोल दिया। 1971 का सबसे लंबा संघर्ष फाजिल्का सेक्टर में ही हुआ था। 4 जाट बटालियन को कमजोर समझने की भूल दुश्मन को भारी पड़ गई और जवानों ने कई इलाके उनसे छीनकर धूल चटा दी। इस लड़ाई में बेरीवाला पुल अहम कड़ी था। हमला करने के साथ ही पुल पर पाक सेना ने कब्जा कर लिया था।

साबूना बांध के पास पाक ने 2500 जवान, 28 टैंक और तोपों से लैस एक बिग्रेड लगा दी थी। 4 दिसंबर की रात को दुश्मन गांव पक्का तक पहुंच गया लेकिन 3 असम राइफल्स ने उसे रोक दिया। 15 राजपूत और 4 जाट बटालियन ने गांव गुरमुख खेड़ा की ओर से हमला कर बेरीवाला पुल से फाजिल्का आने वाले रास्ते को बंद कर दिया। बेरीवाला पुल को लेकर भीषण युद्ध हुआ और 17 दिसंबर की रात आठ बजे पाकिस्तान की हार हुई।

आसफवाला में किया था शहीदों का अंतिम संस्कार

युद्ध में 4 जाट बटालियन के 82 जवान शहीद हुए थे। आसफवाला में शहीद जवानों की 90 फीट लंबी और 18 फुट चौड़ी चिता बनाकर संयुक्त दाह संस्कार किया गया था।

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