मरीजों का दर्द देख डाक्टरों ने ओपन की ओपीडी, नहीं कटी सरकारी पर्ची
छठे वेतन आयोग का डाक्टरों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। इसके विरोध में ज्वाइंट पंजाब गवर्नमेंट डाक्टर को-आर्डिनेशन कमेटी द्वारा सरकार की बेरुखी व डाक्टरों की मांगों पर ध्यान न देने के चलते सरकारी अस्पताल में धरना देकर प्रदर्शन किया गया।
संवाद सूत्र, फाजिल्का : छठे वेतन आयोग का डाक्टरों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। इसके विरोध में ज्वाइंट पंजाब गवर्नमेंट डाक्टर को-आर्डिनेशन कमेटी द्वारा सरकार की बेरुखी व डाक्टरों की मांगों पर ध्यान न देने के चलते सरकारी अस्पताल में धरना देकर प्रदर्शन किया गया। मगर इलाज न मिलने के कारण दूर- दराज गांवों से आने वाले लोगों की परेशानी को देखते हुए फिर से ओपन ओपीडी के तहत मरीजों की जांच की गई। इस दौरान ओपीडी से एक भी सरकारी पर्ची नहीं कटी, जबकि डाक्टरों ने यूनियन की पैड पर मरीजों को दवाइयां लिखकर दी।
इस मौके डाक्टरों ने कहा कि मरीजों के साथ उनकी सहानुभूति है। मगर सरकार द्वारा कोरोना योद्धाओं की अनदेखी करने के चलते मजबूरी वश हड़ताल करनी पड़ती है। छठे वेतन आयोग द्वारा सरकारी डाक्टरों को दिए जाने वाले एनपीए को कम कर दिया गया है और इसे बेसिक पे से भी डीलिक कर दिया गया है। इसके चलते राज्यभर के डाक्टरों में भारी रोष पाया जा रहा है। डाक्टरों को उम्मीद थी कि उनका एनपीए 30 प्रतिशत होगा परन्तु यह पहले से भी कम कर दिया गया है। इस वेतन आयोग के लागू होने के विरोध में इमरजेंसी को छोड़कर अन्य सभी सेवाएं जैसे ओपीडी, आयुष्मान सेहत बीमा योजना आदि बंद रखी जा रही है। डाक्टरों ने बताया कि एक तरफ तो सरकार कोरोना महामारी के समय निभाई गई जिम्मेदारी के लिए उन्हें सम्मानित कर रही है। वहीं दूसरी ओर इस तरह से एनपीए में कटौती कर रही हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द उनकी मांगों को पूरा किया जाए। उधर, भले ही डाक्टरों द्वारा की गई ओपन ओपीडी के चलते मरीजों को ज्यादा परेशानी नहीं हुई। मगर सरकारी पर्ची के बिना टेस्ट व दवाइयां लेने से मरीजों को वंचित रहना पड़ा। उन्हें दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ी।