शरणागत होकर ही हो सकती है भगवान की प्राप्ति: साध्वी सुलेश्वरी
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के आश्रम में तीन दिवसीय शिव कथा का आयोजन किया गया।
संवाद सूत्र, जलालाबाद : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के आश्रम में तीन दिवसीय शिव कथा का आयोजन किया गया। जिसके प्रथम दिन में साध्वी कुलेश्वरी भारती ने प्रवचन करते हुए कहा कि जिस समय भगवान भोलेनाथ और माता सती आकाश मार्ग से गुजर रहे थे। तब उन्होंने प्रभु श्री राम को देखा भगवान शिव ने जय सच्चिदानंद कहकर प्रभु श्री राम को नमन किया। यह देख माता सती के मन में संशय आ जाता है कि जो स्त्री के लिए रो रहा है, उसको भगवान शिव ने प्रणाम कैसे किया। इसी समस्या के कारण मां सती प्रभु श्री राम की परीक्षा लेने के लिए चल पड़ी। उन्होंने बताया यदि भगवान शिव की अर्धांगिनी मां सती प्रभु की बहियां आंखों से देख नहीं पाई, समझ नहीं पाई, तो हम जैसे संसार एक लोक उस भगवान को कैसे पहचान पाएंगे आज हम सबको सिद्धी की जरूरत है। जैसा दिव्य चक्षु भगवान शिव के मस्तक पर हम देखते हैं वह दिव्य चक्षु शरणागत होकर ही प्राप्त हो सकता है। उन्होंने बताया कि भगवान शिव ने भांग का नशा नहीं किया था उन्होंने प्रभु के नाम का नशा किया है। यही संदेश वह सारे संसार को अपने माध्यम से देना चाहते हैं। इसके अलावा साध्वी रजनी भारती व साध्वी सुखबीर भारती ने मधुर भजनों का गायन भी किया।