धर्म ही मानव का सच्चा साथी : त्रिपाठी
श्री गीता भवन मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथा करते आचार्य गोपाल कृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि मानव का सच्चा साथी धर्म है जिसके जीवन में धर्म होता है उसी की परमात्मा में श्रद्धा होती है।
संवाद सहयोगी, फाजिल्का : श्री गीता भवन मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथा करते आचार्य गोपाल कृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि मानव का सच्चा साथी धर्म है, जिसके जीवन में धर्म होता है उसी की परमात्मा में श्रद्धा होती है। धर्म का त्याग कभी नहीं करना चाहिए, जो धर्म का त्याग कर देता है धर्म भी उसको छोड़ देता है। धर्म इस लोक और प्रलोक दोनों में मानव का सहायक बनता है। छठे दिन की कथा प्रारंभ से पहले आयोजकों ने मालार्पण किया
कथा करते त्रिपाठी ने कहा कि सत्य ही सबसे बड़ा धर्म है, जिसके जीवन में सत्य होता है उसके जीवन में परमात्मा होता है। आज सच्चाई खत्म होती जा रही है व झूठ बढ़ता जा रहा है। इसलिए लोग परेशान भी हो रहे हैं। आचार्य त्रिपाठी ने कहा कि जिसके अंदर परमात्मा के लिए श्रद्धा और विश्वास है, उसी को परमात्मा की प्राप्ति होती है। परमात्मा के दर्शन श्रद्धा और विश्वास से होते हैं। श्रद्धा भी तीन प्रकार की होती है सात्विक, राजसी और तामसी। श्रद्धा के अनुसार ही फल मिलता है। उन्होंने कहा कि महारास में भगवान ने गोपियों को ब्रह्म रस प्रदान किया है। शास्त्रों की भाषा परोक्ष वादी होती है। इसलिए यह भगवान के महारास को वहीं समझ सकता है। भगवान की लीला पर तो बड़े-बड़े विद्वान भ्रमित है तो फिर मूर्खों की तो बात ही क्या। यह लीला केवल भाव से ही समझा जा सकता है, केवल भक्ति से ही समझा जा सकता है। गोपियां को सिर्फ कृष्ण के दर्शनों की लालसा थी, जैसे कमल का फूल खिलता है तो वह सुगंध देता है। उसमें भंवरा आ कर बैठ जाता है। भंवरा फूल की सुगंध लेता है, जब सायं हो जाती है तो कमल का फूल अपनी पंखड़ियां बंद कर लेता है तो भंवरा उसी में बैठा रहता है। भंवरा चाहे तो लकड़ी में छेद कर दें परन्तु कमल की सुगंध से वह सब भूल जाता है ठीक उसी प्रकार गोपियां कृष्ण रूपी भंवरे को अपने हृदय में बसा लेती है। मंदिर कमेटी के प्रधान सुरिद्र आहुजा, कोषाध्यक्ष टेक चंद धूड़िया, सदस्य विजय वढेरा ने बताया कि कथा का समापन 28 नवंबर को होगा। इस उपलक्ष्य में सुबह हवन यज्ञ किया जाएगा व कथा का सार बताया जाएगा।