क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में बंद रहे शहर के प्राइवेट क्लीनिक व निजी अस्पताल
मंगलवार को क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने के विरोध में प्राइवेट डॉक्टरों ने एक दिन की हड़ताल रखकर रोष जताया।
राज नरूला, अबोहर : मंगलवार को क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने के विरोध में प्राइवेट डॉक्टरों ने एक दिन की हड़ताल रखकर रोष जताया। हड़ताल के तहत सभी निजी अस्पतालों में ओपीडी सहित अन्य सभी मेडिकल गतिविधियां बंद रखी गईं। हड़ताल का आह्वान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आईएमए द्वारा किया गया था।
सुबह ही निजी अस्पताल में गेटों के बाहर ताले लगे हुए थे और ओपीडी बंद थी। यहां पहुंचे मरीज निराश होकर घर लौट रहे थे।
आइएमए के प्रधान डॉ. युधिष्टर चौधरी ने बताया कि आईएमए द्वारा सरकार को पूरा सहयोग दिया जा रहा है। कोरोना काल में निजी डॉक्टरों ने मरीजों को पूर्ण रूप से सेवाएं दी। लेकन फिर भी, सरकार उन पर क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट थोप रही है। उधर, निजी अस्पतालों के अलावा प्राइवेट लेबोरेटरी व अल्ट्रा साउंड भी बंद रहे।
गांव अमरपुरा के सुनील कुमार ने बताया कि वह अपने बेटे की दवा लेने आया था लेकिन यहां आकर पता चला कि अस्पताल बंद है। इसके अलावा गांव बल्लुआना की विवाहिता शकुंतला ने कहा कि वह अपने पति के साथ अल्ट्रा साउंड करवाने आई थी, उन्हें यहां आकर अल्ट्रा साउंड बंद होने का पता चला।
इसी तरह, हरगोबिंद ट्राफी हाउस के संचालक ने बताया कि उसकी पत्नी के पैर पर मोच आ गई थी जिसके लिए एक्सरे करवाना था, लेकिन उसे सरकारी अस्पताल से एक्सरा करवाना पड़ा। इसी तरह नागपाल नर्सिंग होम पर अनेक मरीज दवा लेने के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें वापस लौटना पड़ा।
इनमें से कई लोगों ने तो सरकारी अस्पताल का रुख किया, जिस कारण अस्पताल में काफी भीड़ दिखी। अधिकतर निजी अस्पताल बंद होने के कारण मेडिकल स्टोर संचालकों का काम भी ठंडा ही रहा। नागपाल नर्सिग होम के डॉ. सुभाष नागपाल के कंपाउडर ने बताया कि जो लोग कल आए थे उन्हें तो हड़ताल के बारे में बता दिया गया था।
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. लतिका नागपाल ने बताया कि इमरजेंसी केस ही अटेंड किए जा रहे हैं, जबकि हड़ताल के कारण रुटीन में मरीजों का चेकअप नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि रुटीन के करीब 20 मरीजों को वापस लौटाया गया। निजी लेबोरेटरी संचालकों ने बंद रखी लैब
क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में शहर के सभी निजी लेबोरेटरी संचालकों ने अपनी लैब बंद रखकर रोष जताया। मेडिकल लेबोरेट्री एसोसिएशन के प्रधान कपिल चौधरी ने बताया कि सरकार क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के माध्यम से छोटी लेबोरेटरियों को खत्म करना चाहती है। जबकि अबोहर में करीब 100 लेबोरेटरियों पर 500 परिवारों का पालन पोषण चलता है। सरकारी अस्पताल में ज्यादा रही लोगों की भीड़
सरकारी अस्प्ताल के रेडियोग्राफर गोकल चंद ने बताया कि वैसे तो सरकारी अस्पताल में रोजाना ही काफी लोग एक्सरे करवाने वाले आते हैं, लेकिन मंगलवार को सभी एक्सरे सेंटर व अल्ट्रा साउंड सेंटर बंद होने के कारण एक्सरे व अल्ट्रा साउंड करवाने लोगों की गिनती ज्यादा रही। उन्होंने बताया कि वैसे भी बाहर एक्सरे का 250 रुपये लगता है जबकि सरकारी अस्पताल में 120 रुपये में डिजिटल एक्सरे हो जाता है। सरकारी अस्पताल के एसएमओ डॉ. गगनदीप सिंह ने बताया कि पहले के मुकाबले मंगलवार को मरीजों की गिनती ज्यादा रही और इसी तरह बच्चा रोग विशेषज्ञ डॉ. साहिब राम ने बताया कि सभी प्राइवेट अस्पताल बंद होने के कारण लोगों की संख्या ज्यादा रही।