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देश के लिए पदक जीतने वाले पैरा बैडमिटन खिलाड़ी संजीव को नहीं मिली नौकरी

पंजाब के मुख्यमंत्री पंजाब कैप्टन अमरिदर सिंह और खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी और कैबिनेट ने फैसला किया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 10:23 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 10:23 PM (IST)
देश के लिए पदक जीतने वाले पैरा बैडमिटन खिलाड़ी संजीव को नहीं मिली नौकरी
देश के लिए पदक जीतने वाले पैरा बैडमिटन खिलाड़ी संजीव को नहीं मिली नौकरी

प्रवीण कथूरिया, अबोहर : पंजाब के मुख्यमंत्री पंजाब कैप्टन अमरिदर सिंह और खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी और कैबिनेट ने फैसला किया है कि जिन खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंजाब के लिए मेडल जीते हैं उनको पंजाब सरकार दर्जा 1 और दर्जा 2 पर नौकरी देगी। लेकिन दिव्यांग पैरा खिलाड़ी को नौकरी देने बारे कोई निर्णय नहीं लेने पर इलाके के पैरा बैडमिटन खिलाड़ी संजीव कुमार ने अफसोस जताया है। पैरा बैडमिटन खिलाड़ी संजीव कुमार ने बताया कि पंजाब सरकार ने उसे खेलों में शानदार प्रदर्शन करने और पंजाब का नाम रोशन करने के लिए स्टेट अवार्ड और पंजाब का सबसे बड़ा खेल अवार्ड महाराजा रणजीत सिंह अवार्ड देकर तो सम्मानित किया लेकिन पंजाब सरकार ने दिव्यांग पैरा खिलाड़ियों को अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए नौकरी देने का प्रबंध नहीं किया। संजीव कुमार ने कहा कि उन जैसे अनेक खिलाड़ियों की जिदगी बद से बदतर होती जा रही है। जब सब खिलाड़ियों को एक साथ सम्मानित किया जाता है तो फिर खिलाड़ियों को नौकरी देने में पंजाब सरकार क्यों भेदभाव कर रही है।

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जेब से सारा खर्चा उठाना पड़ता है

संजीव कुमार ने बताया कि इंटरनेशनल और राष्ट्रीय पदक जीतने के लिए पंजाब के सभी दिव्यांग पैरा खिलाड़ियों को अपनी जेब से सारा खर्चा उठाना पड़ता है या कुछ प्राइवेट स्पॉन्सर से हेल्प लेनी पड़ती है और जब खिलाड़ी जीत कर आते हैं तो सरकारें अपनी पीठ थपथपाती हैं। अगर पंजाब सरकार ने भेदभाव वाला रवैया नहीं छोड़ा तो पंजाब के लिए आने वाले वक्त में कोई भी दिव्यांग पैरा खिलाड़ी नहीं खेलेगा।

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23 स्वर्ण पदक, 6 रजत पदक और 8 कांस्य पदक जीत चुका

संजीव कुमार अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में 23 स्वर्ण पदक, 6 रजत पदक और 8 कांस्य पदक जीत चुका है। दिव्यांग होने के बावजूद वह राज्य व देश के लिए खेल चुका है लेकिन सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की जबकि उसका घर का गुजारा चलना मुश्किल हो रहा है। उनकी मांग है कि राज्य सरकार उसे सरकारी नौकरी प्रदान करें। इसी मांग को लेकर उसने सीएम आवास के बाहर भूख हड़ताल भी कर चुका है। तब आश्वसान मिलने के बावजूद उसे नौकरी नहीं मिली।


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