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जिदगी है अनमोल, कुछ वाहन चालक नहीं समझ रहे इसका मोल

शहर के बीचोंबीच तीन रेलवे फाटक हैं जबकि शहर की आधी आबादी लाइन पार नई आबादी क्षेत्र में रहती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 11:45 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 06:08 AM (IST)
जिदगी है अनमोल, कुछ वाहन चालक नहीं समझ रहे इसका मोल
जिदगी है अनमोल, कुछ वाहन चालक नहीं समझ रहे इसका मोल

राज नरूला, अबोहर : शहर के बीचोंबीच तीन रेलवे फाटक हैं, जबकि शहर की आधी आबादी लाइन पार नई आबादी क्षेत्र में रहती है। लाइन पार क्षेत्र के लोगों को अधिकतर कार्यो व बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए लाइन पार कर शहर आना पड़ता है। 24 घंटे में करीब 25 से 30 रेलगाड़ियों का आवागमन होता है, जो अलसुबह से शुरू होकर देर रात तक जारी रहता है। इसके कारण रेलवे फाटक 25 से 30 बार बंद रहता है। लिहाजा लोग जल्दी के चक्कर में जिदगी की परवाह किए बगैर बंद फाटक के नीचे से साइकिल, मोटरसाइकिल व मोपेड आदि गुजारते आम देखे जा सकते हैं।

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ठाकुर आबादी व श्रीगंगानगर रोड स्थित रेलवे फाटक पर ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा रहती है, क्योंकि यहां बंद फाटक होने पर वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। हालांकि छोटी पौड़ी के रास्ते पर दोपहिया वाहनों की सुविधा के लिए स्टील ओवरब्रिज बनाया गया है। यहां से रोजाना सैकड़ों वाहनों का आना-जाना होता है। बावजूद इसके ठाकुर आबादी रोड, श्रीगंगानगर रोड व सीतो रोड पर बंद फाटक होने पर दर्जनों दोपहिया वाहन सवार बंद फाटक के नीचे से ही वाहन गुजारते हैं। जहां ऐसे दोपहिया वाहन सवार रेलवे सुरक्षा नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, वहीं अपनी जान भी खतरे में डालकर फाटक बंद होने के बाद भी बैरियर के नीचे से गुजरते हैं। इतना ही नहीं बंद फाटक के दौरान फाटक के दोनो तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। वाहन चालक अपना वाहन यहां भी तरतीब से खड़ा करने की बजाय पूरे फाटक पर ही वाहन रोक लेते हैं, जैसे ही फाटक खुलता है तो वाहन चालक एक दूसरे से पहले वाहन निकालने के चक्कर में वाहन को भिड़ा लेते हैं।

लोग सुनते ही नहीं

जब भी ट्रेन आने के समय फाटक बंद होता है, उस दौरान दोपहिया वाहन सवार बैरियर के नीचे से निकलते रहते हैं। कई वाहन चालक तो सामने से आ रही ट्रेन को देखकर भी रुकते नहीं हैं। इस रोड पर दिनभर वाहनों का आवागमन जारी रहता है। फाटक पर ड्यूटी देने वाले रेलवे कर्मचारी का कहना है कि फाटक बंद के दौरान निकलने वाले वाहन चालकों को ठहरने के लिए कहा जाता है, लेकिन लोग सुनते ही नहीं है।

छह माह की सजा व जुर्माने का प्रावधान

रेलवे पुलिस के एसएचओ परविंदर सिंह ने हा कि रेलवे फाटक बंद रहने के दौरान इससे निकलना कानूनी अपराध है। उल्लंघन करने पर छह माह की सजा और एक हजार रुपए तक जुर्माना होता है। यह बात अलग है कि यहां बंद फाटक के दौरान कई वाहन चालक बिना किसी डर के बैरियर के नीचे से निकलते रहते हैं। रेलवे पुलिस द्वारा कभी-कभार जांच कर वाहनों के चालान काटे जाते हैं।


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