नहरबंदी के विरोध में किसानों ने घेरा नहरी विभाग के कार्यकारी इंजीनियर का दफ्तर
नहरी विभाग द्वारा मलूकरपुरा माइनर को बंद किए जाने के विरोध में किसानों ने सोमवार को नहरी विभाग के कार्यकारिणी इंजीनियर के कार्यालय का घेराव किया व प्रदर्शन किया।
संवाद सहयोगी, अबोहर : नहरी विभाग द्वारा मलूकरपुरा माइनर को बंद किए जाने के विरोध में किसानों ने सोमवार को नहरी विभाग के कार्यकारिणी इंजीनियर के कार्यालय का घेराव किया व प्रदर्शन किया। यहां तक कि दो किसान बलकार सिंह व निशान सिंह मरणव्रत भी बैठ गए।
अबोहर किसान संघर्ष की कमेटी की काल पर नहरी विभाग में सोमवार को विभन्न गांवों के किसान एकत्रित हुए व नहरी विभाग के उच्च अधिकारियों, सिचाई मंत्री व सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। संघर्ष कमेटी के प्रधान गुणवंत सिंह, कुलदीप सिंह शेरगढ़, छिदर सिंह, सुनील कुमार पन्नीवाला, सुरेंद्र दलमीर खेडा, कर्णवीर सिंह, भरत सिंह शेरगढ़, वेद भादू आदि ने बताया कि नहरी विभाग द्वारा एक बार फिर मलूकपुरा माइनर को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया है। इसके अधीन आती दौलतपुरा माइनर व रामसरा माइनर भी बंद हो गई है। उन्होंने कहा कि इससे पहले नहरी विभाग ने लंबी माइनर को बंद कर दिया था जिसके बाद उन्होंने गंगानगर हाईवे जाम कर दिया था जिसमें नहरी विभाग के एसई व डीसी ने पहुंचकर यह आश्वासन देकर धरना समाप्त करवाया था कि किसानों को पूरा पानी मिलेगा लेकिन लंबी माइनर में पानी छोड़ने के बाद टेलों तक पानी नहीं मिला कि अब किसानों ने फिर से मलूकपुरा माइनर को बंद कर दिया है जिससे दो अन्य माइनर भी बंद हो गई हैं व इससे करीब 30 गांवों के किसान प्रभावित होंगे। किसानों ने बताया कि इस समय नरमे की फसल व बागों को पानी की सख्त जरूरत है लेकिन नहरबंदी होने के कारण पानी नहीं लग पाएगा। किसानों ने बताया कि पहले ही नरमे की बिजाई 60 फीसदी हो पाई थी व बागों को 80 फीसदी नुकसान हो चुका है लेकिन अब पानी नहीं मिला तो अब यह भी समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अब ग्वार की बिजाई का भी समय है। इस दौरान किसानों ने कार्यकारी इंजीनियर के कार्यालय के गेट बंद कर दिए व कहा कि वह उन्हें बाहर नहीं निकलने देंगे। बरसात न होने के कारण पानी की दिक्कत ज्यादा : कार्यकारी इंजीनियर
इस बाबत नहरी विभाग के कार्यकारी इंजीनियर रमनप्रीत सिंह मान ने बताया कि मलूकपुरा माइनर को एक सप्ताह के लिए बंद किया गया है। दरअसल इस बार बरसात न होने के कारण फसलें पूरी तरह से नहरी पानी पर निर्भर हो गई हैं जबकि इससे पहले बरसात आने पर कुछ राहत मिल जाती थी। सरहिद फीडर टूट जाने के कारण पानी नहीं मिल पाया व अब भी वहां से पूरा पानी नहीं मिल रहा। इससे पहले लंबी माइनर में पानी छोड़ने के बाद किसानों को 70 फीसदी पानी दिया गया जबकि नहरों में केली फंसने के कारण पूरा नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि वह इस बाबत उच्च अधिकारियों को बताएंगे।