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अधिक नमी मार्केट कमेटी ने लौटाई गेहूं की सात ट्रालियां

फाजिल्का जिले में बीते दिनों हुई बारिश के बावजूद किसानों की ओर से अधिक नमी वाली फसल काटी जा रही है। नमी अधिक होने के कारण मार्केट कमेटी के अधिकारियों की तरफ से मंडी के प्रवेश द्वार से ही अनाज की ट्रॉलियों को वापस भेजा जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 12:06 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 06:26 AM (IST)
अधिक नमी मार्केट कमेटी ने लौटाई गेहूं की सात ट्रालियां

मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : जिले में बीते दिनों हुई बारिश के बावजूद किसानों की ओर से अधिक नमी वाली फसल काटी जा रही है। नमी अधिक होने के कारण मार्केट कमेटी के अधिकारियों की तरफ से मंडी के प्रवेश द्वार से ही अनाज की ट्रॉलियों को वापस भेजा जा रहा है। शुक्रवार को अनाज में अधिक नमी होने के कारण सात ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को वापस लौटाया गया। फाजिल्का की अनाज मंडी में अब तक एक हजार क्विंटल गेहूं पहुंच चुकी है। इसमें से करीब दो क्विटल गेहूं के बीते दिनी भीग जाने से धूप में और शाम के समय पंखों की मदद से सुखाया जा रहा है।

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17 अप्रैल की शाम को क्षेत्र में एक घंटे से भी अधिक बारिश हुई थी, जिसके कारण कई गांवों में गेहूं की फसल जमीन पर बिछ गई थी और फसल पूरी तरह से भीग गई थी। भले ही पिछले दो दिनों में तेज धूप पड़ रही है, लेकिन अभी भी गेहूं को सूखने के लिए दो दिन का समय ओर लग जाएगा, लेकिन इसके बावजूद किसान फसलों को काटकर ट्रालियों के जरिए मंडियों में ला रहे हैं। शनिवार को अनाज मंडी में जब गेहूं की नमी आंकी गई तो वह निर्धारित 12 फीसद नमी से ज्यादा निकली। इसके चलते नमी अधिक होने के कारण गेहूं से भरी ट्रालियों को मार्केट कमेटी के कर्मचारियों द्वारा वापिस भेजा जा रहा है।

पूरी तरह गेहूं सुखाकर ही मंडियों में लाए किसान : अजयपाल बराड़

मार्केट कमेटी के सचिव अजयपाल सिंह बराड़ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 12 प्रतिशत तक नमी वाली गेहूं को मंडी में प्रवेश दिया जा रहा है, इसके अलावा दूर दराज के गांवों से गेहूं लाने वाले किसानों की परेशानी को देखते हुए 13 या 14 प्रतिशत नमी वाली गेहूं को भी मंडी में प्रवेश दिया जा रहा है, लेकिन सात ट्रालियां 16 से 18 प्रतिशत तक नमी वाली होने के कारण उन्हें वापस भेजा गया। उन्होंने कहा कि बीते दिनी हुई बारिश के कारण गेहूं गिली है, इसलिए किसान पूरी तरह से गेहूं सूखने पर ही काटकर मंडियों में लाए, जिससे किसानों को परेशानी का सामना न करना पड़े।


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