सांस की तकलीफ वाले मरीजों की बिगड़ती हालत स्टाफ के लिए बन जाती है आफत
अमनदीप ¨सह, फाजिल्का : सिविल अस्पताल फाजिल्का में पहले से ही मरीजों को डॉक्टरों की कमी से जूझना पड़ता
अमनदीप ¨सह, फाजिल्का : सिविल अस्पताल फाजिल्का में पहले से ही मरीजों को डॉक्टरों की कमी से जूझना पड़ता है और इन दिनों स्वाइन फ्लू का कहर ¨चता का विषय बना हुआ है। स्वाइन फ्लू में गले में खारिश होने के बाद सांस लेने में तकलीफ सबसे ज्यादा बढ़ जाती है ऐसे में फाजिल्का के सिविल अस्पताल में उनका इलाज तो शुरू हो जाता है, लेकिन मरीजों को ज्यादा देर सिविल अस्पताल में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि अस्पताल में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और आइसीयू की सुविधा नहीं है। यह सुविधा मेडिकल कॉलेज में होने के चलते मरीजों को फरीदकोट रेफर कर दिया जाता है। यह सफर मरीजों के लिए जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि फाजिल्का से फरीदकोट (94 किलोमीटर दूर) रेफर करने में दो घंटे का सफर तय करना होता है। ऐसे में सरकार की अस्पतालों में व्यवस्थाओं को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं।
फाजिल्का के सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और आईसीयू की सुविधा नहीं है। ये सारी सुविधाएं जिला अस्पताल में न होकर सिर्फ मेडिकल कॉलेज में होती है, जिसके चलते फाजिल्का का सरकारी अस्पताल भी उक्त सुविधाओं से अभी तक वंचित है। हादसों में घायल होने वाले मरीजों या किसी अन्य कारणवंश मरीजों को अगर सांस लेने में तकलीफ जैसी दिक्कत होती है तो मानो ऐसे मरीजों के लिए सबसे बड़ी आफत बन गई है। वे ¨जदगी और मौत के बीच जूझने को मजबूर होते है। फाजिल्का के सिविल अस्पताल में विभिन्न बीमारियों के चलते रोजाना 400 से 500 मरीजों के लगभग मरीज पहुंचते हैं, जिनमें कुछेक गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होते है। जनवरी 2019 में स्वाइन फ्लू कहर बनकर बरपा है। फाजिल्का में चार लोग स्वाइन फ्लू की वजह से अपनी जान गंवा चुके है। भविष्य में अगर सांस की तकलीफ बढ़ने से मरीजों को ज्यादा दिक्कत होती है तो उनके सामने कई चुनौतियां बन जाती है। फाजिल्का के सिविल अस्पताल में सांस की तकलीफ वाले मरीजों को भर्ती करने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।
समय-समय पर जरूरी सामान और स्टाफ के लिए लिखते रहते : सिविल सर्जन
सरकारी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. हंसराज मलेठिया ने बताया कि आइसीयू और वेंटिलेटर जैसी सुविधाएं मेडिकल कालेजों में ही उपलब्ध है। इसके अलावा जब कभी सिविल अस्पताल में स्टाफ आदि जरूरत के सामान की आवश्यकता होती है तो समय-समय पर उच्चाधिकारियों को लिखा जाता है और सांस के मरीजों को फाजिल्का से फरीदकोट के लिए मरीजों को ऑक्सीजन वाली एंबुलेंस में रेफर किया जाता है।