कोरोना के चलते इस बार भारत-पाक सीमा पर नहीं लगा मेला
इसके चलते बार्डर एरिया के साथ लगते गांवों के लोगों ने दरगाह पर जाने की बजाये दूर से ही माथा टेका।
संवाद सहयोगी, फाजिल्का : हर साल जीरो लाइन पर बनी पीर बाबा शाह मोहम्मद की दरगाह पर मेला आयोजित होता है, लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते प्रशासन ने मेला लगाने के लिए मंजूरी नहीं दी। इसके चलते बार्डर एरिया के साथ लगते गांवों के लोगों ने दरगाह पर जाने की बजाये दूर से ही माथा टेका।
सरहद पर बसे गांव गुलाबा भैणी की जीरो लाइन पर लगने वाला यह मेला दोनों देशों के लोगों में जहां धार्मिक सद्भावना का प्रतीक बनता रहा है। वहीं, इस मेले की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह मेला तारबंदी से पार और जीरो लाइन से केवल 10 मीटर की दूरी पर लगता है। भले ही इस साल कोरोना संकट के कारण भीड़ एकत्रित न हो, इसके लिए यह मेला आयोजित नहीं किया गया, लेकिन तारबंदी के दूर से ही लोगों ने समाधि के दर्शन किए। सरहद पर बसे गांव गट्टी नंबर निवासी रविद्र कुमार ने बताया कि हर साल 18 जून से 20 जून के बीच यह मेला आयोजित होता रहा है। लेकिन इस बार कोरोना के कारण मेला लगाने की इजाजत नहीं दी। जिसके चलते लोगों ने अपनी श्रद्धा के अनुसार दूर से ही माथा टेका। 1965 में बंद हुआ पाक नागरिकों का आना
देश के विभाजन से पहले यहां हिंदुस्तान व पाकिस्तान द्वारा सांझे तौर पर मेला लगाया जाता था। लाखों की संख्या में लोग यहां माथा टेकने के लिए आते थे और उस समय कबड्डी, कुश्ती आदि के मुकाबले भी करवाए जाते थे। देश के विभाजन के बाद यह समाधि दोनों देशों के मध्य खींची गई जीरो लाइन पर आ गई। धार्मिक कार्य के कारण इसे पीछे भी नहीं किया गया। 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद यहां पाकिस्तान के लोगों का आना बंद कर दिया गया।