जीवन संघर्ष का दूसरा नाम : वैष्णवी भारती
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से नेहरू स्टेडियम में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथा में भारी संख्या में श्रद्धालुओं पहुंच कर प्रभु की महिमा का रसपान किया।
संवाद सहयोगी, अबोहर : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से नेहरू स्टेडियम में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथा में भारी संख्या में श्रद्धालुओं पहुंच कर प्रभु की महिमा का रसपान किया।
इस अवसर पर साध्वी वैष्णवी भारती ने भक्त प्रह्लाद के जीवन का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भक्त प्रह्लाद को बाल्य काल से ही प्रभु श्री हरी की लगन लग गई। परंतु उसका पिता ही प्रह्लाद की हरि भक्ति के कारण उसका शत्रु बन बैठा। प्रह्लाद को मरने के अनेकों प्रयास किये गए। कभी उसे उंची चोटी पर ले जाकर नीचे गिराया गया, कभी पागल हाथी के आगे डाल दिया गया, सर्पों से भरी काल कोठी में रखा गया, आग की लपटों में बिठाया गया परंतु फिर भी उस नन्हें बालक ने हिम्मत नहीं हारी। प्रभु में उसके दृढ़ विश्वास ने उसे हर विकट परिस्थिति से बाहर निकाल लिया। भक्त प्रह्लाद की जीवन गाथा हमें यही संदेश देती है कि जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है। जहां संघर्ष है वहीं जीवन रूपी धारा बहती है। संघर्ष ही उत्कर्ष तक ले कर जाता है। परंतु इस संघर्ष का सामना करने की हिम्मत कहां से आए। इस प्रश्न का उत्तर भी हमें प्रह्लाद के जीवन से मिलता है। प्रह्लाद के जीवन में प्रभु भक्ति थी जो उसे संबल देती थी। आज हमें भी आवश्यकता है उत्साह और ऊर्जा के उस अनंत स्त्रोत ईश्वर से जुड़ने की जो हर परिस्थिति में हमें संबल प्रदान करता है और ईश्वर से मिलन पूर्ण गुरु ही करवा सकते हैं। कथा के दौरान सुमधुर भजनों के गायन सहित होली उत्सव मनाया गया भक्तों ने फूलों की वर्षा कर होली उत्सव का आनंद माना।