सरकारी स्कूल के विकास ने करवाए प्राइवेट स्कूल बंद
मीनाल गोयल, अमलोह (फतेहगढ़ साहिब) : मैंने जब से शिक्षक का पद संभाला, तो मन में हमेशा एक ही भावना रही कि गांवों के स्कूलों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से बेहतर शिक्षा प्रदान करुं।
मीनाल गोयल, अमलोह (फतेहगढ़ साहिब) : मैंने जब से शिक्षक का पद संभाला, तो मन में हमेशा एक ही भावना रही कि गांवों के स्कूलों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से बेहतर शिक्षा प्रदान करुं। इसी सोच को अपने जीवन का लक्ष्य बनाते हुए गांव मानी बेहड़ा के सरकारी प्राइमरी स्कूल को बेहतरीन स्कूल की सूची में शामिल करवाने की ठान ली। जब इस स्कूल में पद संभाला तो स्कूल में महज 60 छात्र थे, लेकिन आज गांववासियों व अन्य दानी सज्जनों से मिले सहयोग की बदौलत 250 विद्यार्थी शिक्षा हासिल कर रहे हैं। स्कूल की इमारत का विकास, कंप्यूटर रूम, लंगर हाल, कमरों का निर्माण कर स्कूल को नया रूप दिया। स्कूल में विद्यार्थियों को विरासत से रू-ब-रू करवाने के लिए बाल मेले, लड़कियों की लोहड़ी, सांस्कृतिक आयोजन करवाने की पहल की। आज मेरा मन प्रसन्न है कि मेरी सोच को पूरा करने में हर किसी ने मदद की। यह भावनाएं राज्य स्तरीय अध्यापक पुरस्कार से नवाजे गए शिक्षक अमरीक ¨सह की हैं।
वर्ष 2006 में गांव मानी बेहड़ा में पहली बार एंट्री करने वाले अमरीक ¨सह के प्रयत्नों से स्कूल की अपनी एक पहचान बनी। वहीं, सरकारी स्कूल में छात्रों की लगातार बढ़ती जा रही संख्या का सबसे अधिक प्रभाव प्राइवेट स्कूलों पर पड़ा। इस इलाके के कई प्राइवेट स्कूल भी बंद हो गए। जो उनकी सही सोच को दर्शाता हैं। अमरीक ¨सह का मानना है कि इंसान यदि अपना लक्ष्य साध ले, तो हर मंजिल को फतेह किया जा सकता है। स्कूल के सालाना नतीजे शत-प्रतिशत होना उनकी उपलब्धियों का एक हिस्सा है। अमरीक ¨सह ने बताया कि वह नामवर रंगकर्मी मास्टर त्रिलोचन ¨सह की टीम के मेबर हैं। रंगमंच से जुडे़ होने के कारण ही मेरे अंदर हर पल कुछ नया करने की चाहत बनी रहती है, क्योंकि यह दुनिया भी एक रंगमंच है। जहां पर हर कोई अपना-अपना रोल अदा कर इस फानी दुनिया से चला जाता है। मेरी भी कोशिश है कि जनमानस के लिए कुछ बेहतर हो सके। शायद प्रभु ने भी मुझे शिक्षक बना कर बच्चों को शिक्षित कर उनका भविष्य संवारने का मौका दिया है। जिसे पूरा करने में जुटा हूं।