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संतान प्राप्ती के लिए विख्यात है प्राचीन शिव मंदिर

लोहा नगरी मंडी गोबिदगढ़ के गांव डडहेड़ी के प्राचीन शिव मंदिर की पुरानी ईमारत जहां इसके प्राचीन होने की गवाही भरती है वहीं गांववासियों का कहना है कि यह मंदिर 400 वर्ष पुराना है जोकि इलाके का सबसे प्राचीन शिव मंदिर के नाम से विख्यात है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Mar 2019 07:11 PM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2019 07:11 PM (IST)
संतान प्राप्ती के लिए विख्यात है प्राचीन शिव मंदिर

इकबाल दीप संद्धू, मंडी गोबिंदगढ़ :

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लोहा नगरी मंडी गोबिदगढ़ के गांव डडहेड़ी के प्राचीन शिव मंदिर की पुरानी इमारत जहां इसके प्राचीन होने की गवाही भरती है वहीं गांववासियों का कहना है कि यह मंदिर 400 वर्ष पुराना है जोकि इलाके का सबसे प्राचीन शिव मंदिर के नाम से विख्यात है। मंदिर में सच्ची श्रद्धा रखने वाले श्रद्धालु इसे पुत्रों का मंदिर भी कहते हैं।

मंदिर कमेटी के अध्यक्ष आर पी शारदा ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। उनके यजमान गरेवाल गौत्र जोकि गांव डडहेड़ी में 400 वर्ष पहले आकर बसे थे और हमारे पूर्वज और गरेवाल गौत्र के पुरोहित पंडित परमानद जो जिला लुधियाना के अधीन पड़ते गांवों में से वह भी यहां आकर 400 वर्ष पहले बस गए। इसके बाद उनके वंशज पंडित मौला राम हुए जिनके कोई संतान नहीं थी, संतान प्राप्ति के लिए पंडित मौला राम ने अरुणाय स्थित भगवान शिव के मंदिर में घोर तपस्या कि थी। बताया जाता है कि जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने पंडित मौला राम को साक्षात दर्शन दिए व पुत्रों का वरदान दिया। इस उपरांत पंडित मौला राम के घर एक नहीं बल्कि तीन पुत्रों ने जन्म लिया। जिनका नाम पंडित मौला राम ने शिव दयाल, देवी चंद एवं कन्हैया लाल रखा। जिसके बाद एक दिन फिर पंडित मौला राम को भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन दिया और मंदिर के निर्माण के लिए उन्हें कहा उसके बाद पंडित मौला राम ने गांव के तालाब के नजदीकी जमीन को खरीद कर इस मंदिर का निर्माण करवाया। पंडित मौला राम की 11वीं पीढ़ी आज भी इस मंदिर कि सेवा कर रही है। 40 दिन जल चढ़ाने से होती है हर मन्नत पूरी

इस मंदिर के बारे में पुजारी लक्ष्मीकांत मिश्रा ने बताया कि यह मंदिर एक पुरातन भगवान शिव का मंदिर है और नलास स्थित शिव मंदिर का यह समकालीन शिव मंदिर है। यहां कोई भी भक्त 40 दिन जल चढ़ाने के लिए आकर मन्नत मांगे तो वो पूरी हुई है। पुरातन ढंग से होती है आज भी पूजा

मंदिर में मौजूद पुरातन शिवलिंग व ऊंचा त्रिशुल आज भी आकर्षण व आस्था का केंद्र है। मंदिर की दीवारों पुरातन है जिनकी चौड़ाई आम दीवारों के मुकाबले बड़ी हैं तथा मंदिर में आज भी दो वक्त की पूजा पुरातन ढंग से ही की जाती है। शवरात्रि को यहां दूर-दूर से लोग माथा टेकने के लिए और मन्नतें मांगने के लिए आते हैं।

तालाब के कारण मंदिर की दीवार को पहुंचा नुकसान

मंदिर प्रबंधक आरपी शारदा ने बताया कि मंदिर के एक ओर पानी का बड़ा तालाब होने के कारण मंदिर की सामने की एक दीवार को बड़ा नुकसान आ चुका है। इस तालाब को बिना सरकारी मदद से भरा नहीं जा सकता है जोकि मंदिर की सुरक्षा के लिए खतरा है। जिला प्रशासन से मांग करते कहा कि भक्तों की भावनाओं व सुरक्षा को देखते हुए तुरंत इस तरफ ध्यान दिया जाए।


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