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एमटेक करके भी मशरूम की खेती कर रहा उमांशु

बीटेक और एमबीए करने के बाद जब उमांशु एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगा। दो साल तक वह प्राइवेट फर्म में नौकरी करता रहा, लेकिन उसके मन में इच्छा थी कि वो आगे बढ़ना चाहता है और प्राइवेट नौकरी करके उसे उसका लक्ष्य हासिल नहीं होगा। उसने अपने दोस्त के पिता जो मशरूम की खेती करते हैं, के साथ मिलकर मशरूम की काश्त का काम शुरू किया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 06:01 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 06:01 PM (IST)
एमटेक करके भी मशरूम की खेती कर रहा उमांशु
एमटेक करके भी मशरूम की खेती कर रहा उमांशु

सुरेश कामरा, फतेहगढ़ साहिब

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बीटेक और एमबीए करने के बाद जब उमांशु एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगा। दो साल तक वह प्राइवेट फर्म में नौकरी करता रहा, लेकिन उसके मन में इच्छा थी कि वो आगे बढ़ना चाहता है और प्राइवेट नौकरी करके उसे उसका लक्ष्य हासिल नहीं होगा। उसने अपने दोस्त के पिता जो मशरूम की खेती करते हैं, के साथ मिलकर मशरूम की काश्त का काम शुरू किया। शुरुआत में उसने हिस्सेदारी की और बाद में उसने धीरे-धीरे अपना काम शुरु कर लिया आज वो एक सफल मशरूम का काशतकार है । जिला फतेहगढ़ साहिब के गांव बहलौलपुर के युवा मशरूम की खेती करने वाले उमांशु पुरी के मुताबिक उसने इस काम में सफल होने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र फतेहगढ़ साहिब, पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना और डायरेक्टोरेट ऑफ मशरूम रिसर्च सोलन से मशरूम काश्त का प्रशिक्षण हासिल किया है। उमांशु का मानना है कि फसली लागत बढ़ने के कारण किसानों का आर्थिक हालत खराब हो रही है। ऐसे में किसान मशरूम की खेती करके अधिक रुपये कमा सकते हैं। उमांशू ने दो साल मशरूम की सीजनल खेती की। साल 2015 में उसने बडे़ स्तर पर एक एकड़ जमीन में काम शुरू किया। उसने राष्ट्रीय बागबानी बोर्ड से एक करोड़ 35 लाख रुपये कर्ज लिया, जिसमें से बागबानी बोर्ड उसे 30 लाख रुपये सब्सिडी देगा। गर्मियों में एयर कंडीशनर का खर्च होने के कारण लाभ कम होता है, जबकि सर्दियों में फायदा बढ़ जाता है। एक किलो मशरूम पर करीब 40 रुपये लागत आती है, जबकि वो बाजार में 80 से 85 रुपये प्रति किलो बिकती है। उसे हर महीने का खर्च निकालकर 1.50 लाख रुपये तक की आमदन हो जाती है ।

बीज भी तैयार करता है उमांशु

उमांशु मशरूम का बीज भी तैयार करता है। मशरूम की काश्त करने के लिए ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं पड़ती और सर्दियों में मशरूम की झोपड़ियां बनाकर भी काश्त की जा सकती है। शादियों में मशरूम की कीमत 150 रुपये प्रति किलो तक चली जाती है । साल में मशरूम की 6 फसलें मिल जाती हैं । वो हर साल 120 से 150 मीट्रिक टन मशरूम का उत्पादन कर लेता है ।

विदेश जाने से बेहतर है मशरूम उत्पादन

उमांशु ने कहा कि आजकल रुपये कमाने की होड़ में पंजाब के नौजवान विदेशों में जाने की चाह रखते हैं, जबकि विदेश में व्यक्ति को सेल्फ रिस्पेक्ट नहीं मिलती। यदि नौजवान खेती विभिन्नता के तहत खेती के सहायक धंधे अपनाएं तो उनको विदेशों में जाकर काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि वे यहीं रहकर अच्छी कमाई कर सकते हैं।

55 लाख कर्ज पर 20 लाख सब्सिडी : गर्चा

बागबानी विभाग के सहायक डायरेक्टर डॉ. रजिन्दर ¨सह गर्चा और बागबानी विकास अफसर सन्दीप ग्रेवाल ने कहा कि बा़गबानी विभाग की तरफ से मशरूम की काश्त करने के लिए 55 लाख रुपये तक कर्ज दिया जाता है और उस पर 20 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाती है। यदि किसान इस धंधे को खेती के सहायक धंधे के तौर पर अपनाएं तो उनकी आर्थिक हालत मजबूत हो सकती है । उन्होंने बताया कि मशरूम खुराकी तत्वों का खजाना है जिसे इस उम्र वर्ग का व्यक्ति रोजाना ़खुराक का हिस्सा बना सकता है।


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