प्रति माह 5 लाख के घाटे में चल रही बसी नगर कौंसिल
बस्सी पठाना की 15 पार्षदों वाली नगर प्रतिमाह 5 लाख रुपए घाटे में चल रही है। कौंसिल की आमदन बढ़ाने के लिए कुछ पार्षद अध्यक्ष की कुर्सी पर काबज होने के लिए विधायक गुरप्रीत ¨सह जीपी के पास पहुंच कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बस्सी पठाना :
बस्सी पठाना की 15 पार्षदों वाली नगर प्रतिमाह 5 लाख रुपए घाटे में चल रही है। कौंसिल की आमदन बढ़ाने के लिए कुछ पार्षद अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने के लिए विधायक गुरप्रीत ¨सह जीपी के पास पहुंच कर रहे हैं। वहीं प्रधानगी की दौड़ में शामिल पार्षदों द्वारा अपने स्तर पर गुप्त बैठकें भी शुरू कर दी गई हैं। शहर की विकास के तौर पर हालत काफी पतली है। इतना ही नहीं, बड़े घाटे में चल रही कौंसिल के पास खुद का कर्ज उतारने व स्टाफ को वेतन देने के लिए पैसे तक नहीं हैं। -यह है कौंसिल की मौजूदा स्थिति
कौंसिल में 58 कर्मचारी काम कर रहे हैं जबकि 15 पार्षदों का खर्च अलग से है। प्रति माह का खर्च लगभग 15 लाख रूपए के करीब बनता हैं जबकि कौंसिल को सरकार द्वारा वेट व चुंगी के रूप में आमदन करीब 8 लाख रूपए अदा की जाती हैं और 2 लाख के लगभग नक्शा फीस व टैक्स का इक्ट्ठा हो रहा है। कुलमिलाकर प्रति माह करीब 5 लाख रूपए घाटे में चल रही कौंसिल के पार्षदों अध्यक्ष पद दौड़ में शामिल हैं। वहीं शहर में स्ट्रीट लाईटों की कमी, वेतन ना मिलने पर सफाई सेवकों की हड़ताल अहम समस्याएं हैं।
-सरकारी ग्रांट पर आस
शहरवासी जय कृष्ण कश्यप, मनोज बांडा, केके वर्मा, अमरदीप ¨सह ने विधायक गुरप्रीत ¨सह जीपी से मांग की है कि या तो कौंसिल की आमदनी बढ़ाई जाए या फिर कौंसिल को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए बड़ी सरकारी ग्रांट जारी करवाई जाए।
ये बोले कौंसिल प्रधान रमेश गुप्ता
कौंसिल अध्यक्ष रमेश गुप्ता ने कहा कि सभी पार्षदों का उनको समर्थन हैं। बावजुद कुछेक पार्षद विधायक को गुमराह करते उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। अगर ििवधायक कहेंगे तो इस्तीफा दे दूंगा। परंतु विधायक पार्षदों के विचार जरूर सुनें कि वह क्या चाहते हैं।
-ऐसे हो सकती है आमदनी
कौंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष विवेक कुमार विक्की ने विधायक जीपी को सुझाव देते कहा कि कौंसिल की आर्थिक हालत सुधारने के लिए कौंसिल की कुछ जायदाद बेच देनी चाहिए यां सरकार से ग्रांट का प्रबंध करना चाहिए। कौंसिल के पास 20 के करीब दुकानें लोगों के पास किराए पर हैं और दुकानों से कौंसिल को किराया नाममात्र ही आता हैं उन दुकानों को कौंसिल द्वारा सरकार से अनुमति लेकर बेच देना चाहिए कौंसिल वर्षों से दुकानदारों पर किए केसों पर लाखो रूपया खर्च चुकी है।
-यह बोले कार्यकारी अधिकारी
ईओ सुधीर शर्मा ने माना कि कौंसिल प्रति माह 5 लाख रुपए करीब घाटे में चल रही हैं और कौंसिल की आमदनी को बढ़ाने के लिए शहर वासियों व पार्षदों का सहयोग बहुत जरूरी है। शहरवासी ईमानदारी से कौंसिल का बकाया हाउस टैक्स जमा करवाएं। इससे कौंसिल को घाटे से बचाया जा सकता है।