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रजबाहे में पानी आने सी लगी खूब रौनक

चार दिनों तक लगातार चलने वाले छठ पर्व को लेकर लोहानगरी स्थित रजबाहे पर ¨सचाई विभाग ने पानी छोड़ दिया है। जिससे रजबाहे पर श्रद्धालुओं की खूब रौनक लग चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 05:46 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 05:46 PM (IST)
रजबाहे में पानी आने सी लगी खूब रौनक

इकबालदीप संधू ,मंडी गो¨बदगढ़ : चार दिनों तक लगातार चलने वाले छठ पर्व को लेकर लोहानगरी स्थित रजबाहे पर ¨सचाई विभाग ने पानी छोड़ दिया है। जिससे रजबाहे पर श्रद्धालुओं की खूब रौनक लग चुकी है। दैनिक जागरण द्वारा खबर छापे जाने के बाद रजबाहे में पानी छोड़ दिया गया जिसको लेकर श्रदालुओं में खुशी की लहर पाई जा रही है। रजबाहे पर सैंकड़ों की तादाद में व्रतधारी पहुंच रहे हैं जबकि कुछ लोग दंडवत करते हुए छठ मईयां से मुरादें व परिवार की सुख समृद्धि की मन्नत मांग रहे हैं। शास्त्रों में सूर्यषष्ठी नाम से बताए गए चार दिनों तक चलने वाली छठ पूजा का काफी महत्व है। इस बार छठ का यह पर्व 11 नवंबर को नहाने खाने के बाद उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देने तक यह पर्व मनाया गया। सूर्य उपासना का महापर्व छठ कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था के रूप में मनाया जाता है।

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दैनिक जागरण का किया अभार व्यक्त

घाट पर मौजूद व्रतधारी मुन्ना ने कहा कि प्रशासन हर साल कुछ दिन पहले पानी छोड़ देता है लेकिन इस बार दैनिक जागरण में आई खबर के बाद पानी छोड़ दिया गया जिसको लेकर हम खुशी महसूस कर रहें हैं।

घाट पर जगह-जगह सजी पूजा चौकियां

रजबाहे पर कुछ दिनों से साफ सफाई अभियान के बाद मंगलवार को जगह-जगह पूजा स्थल बनाए जा रहे है। जबकि गन्ने को पानी के बीच खड़ा किया जा रहा है। व्रतधारी महिलाएं भी वहां पहुंच कर फल फ्रूट और पूजा सामग्री सजा चुकीं हैं।

ऐसे मनाया जाता है छठ पर्व

इस पर्व में पहले दिन नहाने-खाने के बाद काफी सफाई से चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी का भोजन बनाया जाता है। व्रतधारी के द्वारा इस भोजन को प्रसाद के तौर पर लेने से इसकी शुरुआत होती है। दूसरे दिन लोहंडा या खरना में शाम की पूजा के बाद सबको खीर का प्रसाद मिलता है। अगले दिन शाम में डूबते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाता है। फिर अगली सुबह उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद पूजा का समापन होता है। छठ पर्व के आखिर के दोनों दिनों में नदी तालाब या किसी जल स्त्रोत में कमर तक पानी में जाकर सूर्य को अ‌र्घ्य देना होता है। सबसे कठिन व्रत कहा जाने वाला दंड देना भी इन दो दिन के दौरान ही किया जाता है। व्रतधारी शाम और सुबह अपने घर से पूजा होने की जगह तक दंडवत प्रणाम करते हुए पहुंचते हैं और जल स्त्रोत की परिक्रमा करते हैं। छठ पर्व की तारीख

सायंकालीन अ‌र्घ्य- 13नवंबर

प्रातकालीन अ‌र्घ्य-14 नवंबर


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