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कोरोना से जीती पर लचर सिस्टम से जिदगी की जंग हार गई 78 वर्षीय वृद्धा

फतेहगढ़ साहिब सरहिद की प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाली 78 वर्षीय बुजुर्ग ने कोरोना से तो जंग जीत ली थी

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 11:55 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 11:55 PM (IST)
कोरोना से जीती पर लचर सिस्टम से जिदगी की जंग हार गई 78 वर्षीय वृद्धा
कोरोना से जीती पर लचर सिस्टम से जिदगी की जंग हार गई 78 वर्षीय वृद्धा

धरमिदर सिंह, फतेहगढ़ साहिब : सरहिद की प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाली 78 वर्षीय बुजुर्ग ने कोरोना से तो जंग जीत ली थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के लचर सिस्टम के आगे जिदगी की जंग हार गई। कोरोना वायरस से संक्रमित इस वृद्धा की समय पर डायलिसिस न होने के कारण राजिदरा अस्पताल पटियाला में मौत हो गई। जिसके बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर इलाज में कोताही बरतने के आरोप लगाते हुए मामले की जांच की मांग की है। मृतका हरबंस कौर (78) के बेटे जसविदर सिंह ने बताया कि उसकी माता की डायलिसिस करीब एक वर्ष से मोहाली के सोहाना अस्पताल से होती आ रही थी। कोरोना के चलते कुछ दिनों पहले सोहाना अस्पताल को एक सप्ताह बंद किया गया था। जिसके बाद उन्हें कोरोना रिपोर्ट करवाकर मरीज को अस्पताल लाने को कहा गया। उन्होंने 28 जुलाई को फतेहगढ़ साहिब सिविल अस्पताल में सैंपल दिए, तो 29 जुलाई को उनकी माता की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई और राजिदरा अस्पताल में भर्ती करवाया गया। लेकिन डायलिसिस के सहारे अपनी जिदगी काट रही उनकी माता का इलाज नहीं हो सका। एक सप्ताह में उनकी दो बार डायलिसिस होती थी, जोकि राजिदरा अस्पताल में 15 दिनों में दो बार ही की गई। वह भी बार-बार कहने पर डॉक्टरों ने केवल डेढ़ घंटे की डायलिसिस की, जिसे पूरा होने में चार घंटे लगते हैं। सोमवार को उनकी माता की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। इलाज न होने के चलते रात उसने दम तोड़ दिया। यहीं पर बस नहीं, अस्पताल प्रशासन ने उन्हें दो टूक कह दिया कि शटर उठाकर शव ले जाओ। कोई हाथ नहीं लगाएगा। जहां पर कोरोना मरीजों के शव रखे जाते हैं, वहां से शव उठाने के लिए उन्हें कोई पीपीई किट नहीं दी गई। वे दस्ताने व मास्क पहनकर शव को लेकर घर पहुंचे और यहां अंतिम संस्कार कर दिया गया। डॉक्टर बोले- पीपीई किट पहनकर खड़े नहीं हो सकते

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मृतका के बेटे जसविदर सिंह ने आरोप लगाया कि डायलिसिस न होने के कारण उनकी माता अस्पताल में बेड पर तड़पती रहती थी। सुरक्षा कर्मी उन्हें माता को देखने तक नहीं देते थे। अनेक सिफारिशों के बाद पहले पांच दिनों की देरी के बाद एक बार डायलिसिस की गई थी। फिर रविवार को डायलिसिस की गई थी। डायलिसिस पर डेढ़ घंटा लगाने के बाद डॉक्टर ने उन्हें सीधे जवाब दिया था कि पीपीई किट पहनकर उनसे खड़ा नहीं हुआ जाता। इससे ज्यादा वे नहीं कर सकते। इस दौरान अस्पताल के वार्ड से एक नर्स ने उन्हें सूचना दी थी कि माता को बचाना चाहते हो तो किसी तरीके से यहां से ले जाओ। लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी और उनकी माता की जान चली गई। मौत कोरोना से नहीं हुई : सीएस

फतेहगढ़ साहिब के सिविल सर्जन डॉ. सुरिदर सिंह ने कहा कि वृद्धा ने कोरोना को मात दे दी थी। मौत से पहले लिए सैंपल की रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है। जिससे जाहिर होता है कि यह मौत कोरोना से नहीं हुई है। मौत के अन्य कारण हो सकते हैं, जिस बारे में राजिदरा अस्पताल वाले ही बता सकते हैं। जरूरत मुताबिक डायलिसिस की : एमएस

राजिदरा अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटिडेंट डॉ. पारस पांडव ने कहा कि मरीज की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी। मौत प्राकृतिक है। इलाज में कोई कमी नहीं छोड़ी गई और डॉक्टरों ने जरूरत मुताबिक डायलिसिस की है।


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