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पंजाब के एक शिक्षक ने किया कमाल, यह है सरकारी प्राइमरी स्कूल, आप भी देखेें व पढ़ें यहां की खासियत...

पंजाब के एकमात्र शिक्षक राजिंदर कुमार को केंद्र सरकार द्वारा शिक्षक पुरुस्कार के लिए चुना गया है। आइए नजर डालते हैं उनकी उपलब्धियों पर...

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 04:25 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 04:26 PM (IST)
पंजाब के एक शिक्षक ने किया कमाल, यह है सरकारी प्राइमरी स्कूल, आप भी देखेें व पढ़ें यहां की खासियत...

फरीदकोट [प्रदीप कुमार सिंह]। मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौंसले से उड़ान होती है। ... किसी शायर की यह उत्साहवर्द्धक लाइन बहुत से लोगों ने सुनी-पढ़ी होगी, परंतु इस पर अमल जैतो सब-डिवीजन के गांव बाड़ा भाईका निवासी अध्यापक राजिंदर कुमार ने किया। अपने हुनर, कठोर मेहनत व लगन से ग्रामीण शिक्षा स्तर व सरकारी प्राइमरी स्कूलों की तस्वीर बदलने का जो बीड़ा 11 साल पहले उन्होंने उठाया था, अब वह फलीभूत हो रहा है, जिसके लिए उन्हें शिक्षक दिवस पर केंद्र सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जा रहा है।

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पांच सितंबर को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होने वाले इस बार वह पंजाब के अकेले अध्यापक होंगे। सरकारी प्राइमरी स्कूल बाड़ा भाईका के अध्यापक राजिंदर कुमार को यह सम्मान लो कास्ट टीचिंग मैट्रेरियल बनाने के साथ ही स्कूल को आधुनिक रंग-रूप देने व विद्यार्थियों के पढ़ने के अनुकूल सभी आधुनिक सुविधाएं व माहौल देने के लिए मिल रहा है। राजिंदर कुमार ने बताया कि 11 साल पहले उन्होंने जब गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में बतौर ईटीटी अध्यापक अपनी सेवा शुरू की तो स्कूल की हालत बेहद खस्ताहाल थी। इमारत ठीक न होने के साथ ही विद्यार्थी भी कम संख्या में स्कूल आ रहे थे। उनके साथ उनकी पत्नी अध्यापिका हरिंदर कौर ने भी पढ़ाना शुरू किया था।

स्कूल की दशा देख दोनों ने पहले स्कूल में ढांचागत बदलाव करने का फैसला किया, लोगों के सहयोग से यह पूरा हुआ, जिसके बाद उन दोनों ने अभिभावकों के घर-घर जाकर उन विद्यार्थियों को स्कूल लाया जो कि पढ़ाई छोड़ चुके थे या फिर लंबे समय से स्कूल से अनुपस्थित चल रहे थे। बच्चे स्कूल आने लगे, परंतु उनका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। जिसके बाद उन्होंने लो कास्ट टीचिंग मैट्रेरियल तैयार किया। 

राजिंदर कुमार ने गांव के हुनरमंद लोगों के सहयोग से बाजार में 35 हजार में मिलने वाली वस्तुओं को उनकी टीम ने 2000 से 2500 रुपये के मध्य तैयार कर दिया, इसमें खेल-खेल में पढ़ाई कराने के लिए खिलौने, स्कूल के कमरों को सजाना, साउंड सिस्टम, एक कक्षा से दूसरे कक्षा को कनेक्ट करना, पढ़ाई की समाग्री का डिजिटलीकरण, मल्टीमीडिया, कमरों में एलईडी लगाना आदि के साथ ही परिसर को भी हरा-भरा करने के साथ रंग-बिरंगे फूल-पौधों से सजाया।

राजिंदर कुमार ने बताया कि उनका स्कूल इंंग्लिश मीडियम में है और वर्तमान समय में आसपास के सात गांवों के 220 विद्यार्थी पढ़ रहे हैंं। सभी विद्यार्थी मौसम के अनुसार ड्रेस पहनते हैंं, स्कूल व स्कूल के विद्यार्थी किसी भी मायने में निजी स्कूलों से आगे हैंं। उनका उद्देश्य हमेशा यही रहा है कि ग्रामीण शिक्षा स्तर ऊपर उठे, इसके लिए सरकारी प्राइमरी स्कूलों की हालत बदलनी बहुत जरूरी थी।

उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर काम किया और इसमें अब तक सफल भी रहे हैंं। हालांकि उनके बेहतर कार्यो को देखते हुए विभाग द्वारा उन्हें तीन बार तरक्की दी गई, परंतु उन्होंने अपने इसी स्कूल मेें रहकर और काम करना मुनासिब समझा। उनके स्कूल में विद्यार्थियों को मल्टीमीडिया के अलावा कंप्यूटर से शिक्षित किया जाता है। स्कूल व पढ़ाई के प्रति विद्यार्थियों की रूचि को देखते हुए अब तक उनकी लो कास्ट टीचिंग मैट्रेरियल को प्रदेश के पांच सौ से अधिक स्कूलों ने अपनाया है।

लो कास्ट टीचिंग मैट्रेरियल की टीम

जरूरत की वस्तुओं को बाजार भाव से बेहद कम दर पर तैयार करने के लिए अध्यापक राजिंदर कुमार ने गांव के हुनरमंद लोगों की एक टीम बनाई है, जिसमें राजमिस्त्री, बढ़ई, वेल्डिंग करने वाला, प्लंबर, कंप्यूटर इंजीनियर, माली, ड्रेस बनाने के लिए दर्जी आदि हैंं। यह लोग बेहद कम मजदूरी पर वस्तुओं को तैयार करते हैं। इसी टीम द्वारा प्रदेश के पांच सौ से अधिक स्कूलों को लो कास्ट टीचिंग मैट्रेरियल बनाकर उपलब्ध करवाए गए हैंं। यह लोग स्कूल का फर्नीचर, बोर्ड, कमरे का डिजाइन व उसे संवारने के साथ ही पेयजल आपूर्ति, शौचालय, रसोई घर आदि बनने में महारत हासिल कर चुके हैंं।

शिक्षक राजिंदर कुमार व उनकी पत्नी।

अध्यापक राजिंदर कुमार को अब तक मिले सम्मान

  • 15 अगस्त 2018 को सोशल सर्विस के लिए मुख्यमंत्री के हाथों स्टेट अवार्ड
  • 5 सितंबर 2019 में शिक्षा विभाग द्वारा स्टेट अवार्ड
  • 2017 व 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर जिला स्तर का सम्मान
  • 20 से अधिक समाजिक संस्थाओं का सम्मान

सुखवीर कौर व जशनप्रीत ने निजी स्कूल को छोड़ दिया दाखिला

कक्षा चौथी की छात्रा सुखवीर कौर ने बताया कि उनका स्कूल बहुत ही अच्छा है। पहले वह एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ रही थी, परंतु इस स्कूल में खेल-खेल में पढ़ाई करवाने को देखते हुए उन्होंने इस स्कूल में अपना दाखिला लिया। उसे स्कूल रोजाना जाना अच्छा लगता है। कक्षा पांचवीं के छात्र जशनप्रीत सिंह ने भी स्कूल सबसे अच्छा बताते हुए कहा कि अध्यापक राजिंदर कुमार द्वारा खेल-खेल में जो पढ़ाया जाता है वह सभी विद्यार्थियों को अच्छे से समझ में आता है।


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