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SIT का दावा- सुखबीर, सैनी व राम रहीम ने रची थी पंजाब में बेअदबी की साजिश

एसआइटी ने दावा किया है कि बेअदबी की घटनाओं की साजिश सुखबीर सिंह बादल पूर्व DGP सुमेध सैनी व डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ने ही रची थी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 30 May 2019 09:58 AM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 05:04 PM (IST)
SIT का दावा- सुखबीर, सैनी व राम रहीम ने रची थी पंजाब में बेअदबी की साजिश
SIT का दावा- सुखबीर, सैनी व राम रहीम ने रची थी पंजाब में बेअदबी की साजिश

जेएनएन, फरीदकोट। अक्टूबर 2015 में बरगाड़ी समेत अन्य स्थानों पर हुई श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की साजिश तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, पूर्व DGP सुमेध सैनी व डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ने ही रची थी। यह दावा स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की ओर से जेएमआइसी एकता उप्पल की अदालत में दायर Chargesheet में किया गया है। SIT ने बरगाड़ी में बेअदबी की घटना के बाद कोटकपूरा में हुए गोलीकांड मामले में दायर Chargesheet में कई गंभीर सवाल उठाए हैं।

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Chargesheet में कहा गया है कि तत्कालीन पंजाब सरकार ने 10 अक्टूबर, 2015 को राज्य के इंटेलिजेंस चीफ एचएस ढिल्लों का तबादला कर दिया था। उनकी जगह डीआइजी रैंक के अधिकारी आरके जायसवाल को इंटेलिजेंस का चीफ नियुक्त किया गया, जो डायरेक्ट DGP पंजाब को रिपोर्ट करने लगे थे। SIT के अनुसार इंटेलिजेंस चीफ के तबादले के बाद ही महज 20 दिनों में बरगाड़ी समेत राज्य भर के अलग-अलग हिस्सों में बेअदबी की 15 घटनाएं सामने आई थीं। 

SIT का दावा है कि इन घटनाओं की साजिश तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, DGP सुमेध सिंह सैनी व डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने रची थी। Chargesheet के अनुसार इंटेलिजेंस चीफ ढिल्लों के तबादले के बाद कई सीनियर अधिकारी उक्त पद पर तैनात होने को तैयार थे, लेकिन एक जूनियर अधिकारी को पद पर तैनात किया गया।

SIT के अनुसार 19 नवंबर, 2018 को सुखबीर सिंह बादल से पूछताछ में जब इंटेलिजेंस चीफ के तबादले के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इसके बारे में DGP सैनी ही बता सकते हैं, जबकि DGP सैनी से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस मामले में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ही ज्यादा बता सकते हैं, जिनके पास गृह विभाग भी था।

अक्षय कुमार ने कराई थी सुखबीर व डेरा प्रमुख की मुलाकात

SIT ने सुखबीर सिंह बादल व डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की मुलाकात को भी सवालों के घेरे में लिया है। यह मुलाकात फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने करवाई थी और दोनों को (डेरा प्रमुख व अक्षय कुमार) को अपनी-अपनी फिल्मों की क्रमवार पंजाब सरकार व एसजीपीसी से हरी झंडी लेनी थी। इस मुलाकात के बाद ही 24 सितंबर, 2015 को डेरा प्रमुख को श्री अकाल तख्त साहिब से माफी मिली और 25 सितंबर को उनकी फिल्म 'एमएसजी-2' रिलीज की गई। इसके बाद 2 अक्टूबर को अक्षय कुमार की फिल्म 'सिंह इज ब्लिंग' की रिलीज होने का रास्ता साफ हो गया।

पांच माह बाद रिहा होंगे पूर्व एसएसपी चरणजीत

पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद हुए बहिबलकलां गोली कांड में आरोपित पंजाब पुलिस के पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक चरणजीत शर्मा को इलाज के लिए राहत देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महीने की अंतरिम जमानत दे दी है। शर्मा लगभग पांच महीने बाद जेल से रिहा होंगे।

मोगा के एसएसपी रहे चरणजीत शर्मा ने ह्रदय के रोग का हवाला देते हुए हाईकोर्ट से अंतरिम राहत की मांग की थी। शर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान उनके वकील संत पाल सिंह सिद्धू ने अदालत को बताया कि चरणजीत शर्मा के दिल में 90 फीसद ब्लॉकेज है और उन्हें डॉक्टरों ने स्टेंट डलवाने की सलाह दी है। उन्होंने शर्मा की तबीयत के संबंध में पीजीआइ, चंडीगढ़ और कुछ अन्य मेडिकल रिपोट्र्स भी अदालत में पेश की।

शर्मा को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि शर्मा पर गंभीर आरोप हैं और वे पुलिस की हिरासत में भी स्टेंट डलवा सकते हैं। शर्मा की मेडिकल रिपोट्र्स देखने के बाद उन्हें दो जुलाई तक अंतरिम जमानत देते हुए जस्टिस राज शेखर अत्री की पीठ ने स्पष्ट किया कि अंतरिम जमानत की अवधि के दौरान शर्मा विदेश नहीं जा सकते।

तीन अन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी पर रोक बढ़ी

हाईकोर्ट ने बहिबलकलां कांड के संबंध में जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट में नामजद तीन अन्य पुलिस अधिकारियों विक्रमजीत सिंह, अमरजीत सिंह कुलार, प्रदीप की गिरफ्तारी पर लगी रोक को भी दो जुलाई तक बढ़ा दिया है। मोगा के एसएसपी रहे चरणजीत शर्मा, बहिबलकलां गोलीकांड में गिरफ्तार होने वाले पंजाब पुलिस के पहले अधिकारी हैं। उनको इस मामले की जांच करने वाली एसआइटी ने 27 जनवरी, 2019 को उनके होशियारपुर स्थित निवास से गिरफ्तार किया था।

जस्टिस रंजीत सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पंजाब पुलिस ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे सिखों पर बेवजह गोली चलाई, जिसमें दो सिखों की मौत हो गई। प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से पूर्व पुलिस अधिकारियों की ओर से मजिस्टे्रट से अनुमति न लेने की बात भी इस रिपोर्ट में कही गई थी।

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