लॉकडाउन में युवाओं ने खोजा रोजगार का नया जरिया
दो महीने के कर्फ्यू के दौरान बहुत कुछ बदल गया। परंपरागत कारोबार छोड़कर लोग रोजगार के नए अवसर सृजित करने लगे है।
प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट
दो महीने के कर्फ्यू के दौरान बहुत कुछ बदल गया। परंपरागत कारोबार, छोड़कर लोग रोजगार के नए अवसर सृजित करने लगे हैं। पक्का और टैहना गांव के 15 युवाओं ने रोजगार के नए अवसर पैदा करने के साथ ही ग्रामीणों की सेहत सुधारने का भी बीड़ा उठाया है।
कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए प्रदेश में 23 मार्च से 17 मई तक लगे कर्फ्यू के कारण इनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया था। गांव पक्का के कुलदीप सिंह ने बताया कि पहले वह शहर में कपड़े की छोटी सी दुकान चलाते थे, परंतु कर्फ्यू के कारण जब दुकान को बंद करना पड़ा तो खुद के खर्चे के साथ ही परिवार के भरण-पोषण पर संकट के बादल दिखाई देने लगे। उनके तीन बच्चे है और तीनों ऊंची कक्षाओं में पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में वह सोच रहे थे कि कम पैसे में क्या काम किया जाए जो कि गांव में चले और उन्हें शहर जाने की जरूरत ही नहीं हो। क्योंकि उनके गांव का जमीनी पानी बेहद खारा है, ऐसे में वह लोग नहर से पानी पीने के लिए लाते थे।
बहुत से लोग ऐसा नहीं कर पाते थे, जिससे वह खारा पानी पीने को मजबूर थे। उन्होंने अपने परिवार के साथ अपने दो पड़ोसियों के लिए नहर से पानी ले जाना शुरू किया, जिसके बाद पूरे गांव में इसकी डिमांड बढ़ गई। इसके बाद उनके ही गांव के सात लोग मोटरसाइकिल के पीछे ट्राली बनाकर पांच सौ लीटर पानी नहर से भरकर ले जाते है, और लोगों के घरों में जरूरत के अनुरूप देते हैं। 20 लीटर पानी का रोजाना कोई दस रुपये दे देता है तो कोई 15 रुपये। जो लोग पैसे महीना या रोजाना सझम नहीं हैं वह लोग उन्ह गेहूं व चावल देने का भरोसा दिए है।
अब उनके गांव के साथ ही पड़ोसी गांव टैहना के भी कई नौजवान आ गए हैं। वह लोग दिन भर में तीन से चार चक्कर लगाकर अपनी आठ सौ रुपये तक की दिहाड़ी बना रहे हैं। अब उनके साथ कुलदीप सिंह, काका, रामपाल, हरजिदर सिंह, जिद्दु, स्वर्ण सिंह, गुरजीवन सिंह, सुखचैन सिंह आदि मोटरसाइकिल ट्रालियों पर पानी की टंकी रखकर अपनी रोजी-रोटी कमा रहे है। पहले यह लोग शहर में जाकर दुकानों पर काम करते थे।
इनसेट
बोर वाले ने नहीं लिए पैसे
बलकार सिंह मुख्य सेवादार की रहनुमाई में जसविदर सिंह फौजी ने हैंड पंप (नलकूप) दान किया है, जबकि दूसरा गांव के लोगों ने मिलकर सांझे रूप से लगवाया है। कुलदीप सिंह ने बताया कि गांव के हैंडपंप लगाने वाले मिस्त्री बलबीर सिंह ने उन लोगों से बोर करने का एक भी पैसा नहीं लिया है। एक हैंडपंप लगाने पर लगभग सात हजार रुपये का खर्च आता है। बलबीर ने बताया कि वह युवाओं की लगन से खुश हैं।