22 हजार करोड़ रुपये संपत्ति की देखरेख करती थीं पिता की लाडली राजकुमारी दीपइंदर
फरीदकोट रियासत के आखिरी शासक महाराजा हरिन्द्र सिंह बराड़ की बेटी राजकुमारी दीपइंदर कौर मेहताब का शाही समाधां स्थल पर धार्मिक रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया।
जेएनएन, फरीदकोट। पश्चिम बंगाल के वर्धमान राजघराने की राजकुमारी दीपइंदर कौर मेहताब अपने पिता महाराजा हरिंदर सिंह बराड़ की लाडली थी। महाराजा ने अपनी करीब 22 हजार करोड़ रुपये की चल-अचल जायदाद को ट्रस्ट के नाम करने के बाद उन्हें ट्रस्ट का चेयरपर्सन बनाया था। राजकुमारी दीपइंदर कौर का संक्षिप्त बीमारी के बाद रविवार को 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। गत दिवस फरीदकोट में शाही सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। वे यहां अपने पिता की बरसी समागम में हिस्सा लेने आई थीं कि बीमार पड़ गईं। आजादी से पहले देश की प्रमुख रियासत फरीदकोट के राजघराने का लंबा इतिहास है। पिछले वर्ष रियासत की संपत्ति को लेकर 31 साल तक चला मुकदमा सुर्खियों में रह चुका है।
दरअसल, महाराजा हरिंदर सिंह बराड़ के घर तीन बेटियां और एक एक बेटे ने जन्म लिया था। बेटे हरमोहिंदर सिंह की मौत महाराजा के जीवित रहते वर्ष 1981 में सड़क हादसे में हो गई थी। कहा जाता है कि बड़ी बेटी अमृत कौर को आम आदमी से शादी करने के कारण महाराजा ने बेदखल कर दिया था। सबसे छोटी बेटी महीपइंदर कौर का 2001 में रहस्यमयी परिस्थितियों में शिमला में निधन हो गया था। वे शादाशुदा नहीं थीं। राजकुमारी दीपइंदर कौर ने अपने शिक्षा शिमला से ग्रहण की थी। उनका विवाह 1959 में वर्धमान रिसायत के महाराज बीर जय वर्धन के बेटे सदेचंद मेहताब के साथ हुआ था। उनके एक बेटी निशा व एक बेटा जयचंद मेहताब है। निशा जर्मनी में सेटल है।
संपत्ति में हक के लिए बड़ी बेटी ने 31 साल लड़ा मुकदमा
फरीदकोट रियासत के नाम देश के विभिन्न हिस्सों में करीब 22 हजार करोड़ रुपये की चल-अचल संपति है। 16 अक्टूबर, 1989 में जब महाराजा हरिंदर सिंह की मौत हुई तो एक वसीयत सामने आई जिसमें ये दावा किया गया कि महाराजा की संपत्ति में उनकी मां, पत्नी और बेटियों का कोई हक नहीं है। पूरी संपत्ति को एक ट्रस्ट के हवाले की गई। ट्रस्ट में महाराजा के मुलाजिम शामिल थे।
राजकुमारी दीपइंदर कौर मेहताब फाइल फोटो।
वसीयत के मुताबिक महारावल खेवाजी ट्रस्ट बनाया गया। ट्रस्ट की चेयरपर्सन राजकुमारी दीपइंदर कौर मेहताब और वाइस चेयरपर्सन बड़ी बहन अमृत कौर थीं। इसके लिए दोनों को केवल क्रमशः 1200 और 1000 रुपये देने की व्यवस्था थी। इस वसीयत को चंडीगढ़ निवासी अमृत कौर ने 1992 में अदालत ने चुनौती दी थी। पिछले वर्ष चंडीगढ़ सेशन कोर्ट ने महाराजा की वसीयत रद कर दोनों बहनों को संपत्ति में हक दिया था। हालांकि अब यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
कहां-कहां संपत्ति
- नई दिल्ली के कोपरनिकस मार्ग पर महलनुमा फरीदकोट हाउस (करीब ₹1500 करोड़)
- फरीदकोट में राज महल और किला मुबारक
- चंडीगढ़ के मनीमाजरा में किला (करीब ₹250 करोड़)
- रॉल्स रॉयस सहित विंटेज कारें
- फरीदकोट में 200 एकड़ में फैला एयरोड्रोम
- अंबाला, हिसार, गुड़गांव, शिमला, दिल्ली और हैदराबाद में प्रॉपर्टी
- करीब ₹1000 करोड़ का सोना और आभूषण स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक मुंबई में, आदि।
राजघराने ने शिक्षा को बढ़ावा दिया
फरीदकोट के राजघराने ने अपने शासनकाल के समय शहर में शिक्षा को खूब बढ़ावा दिया। बलबीर स्कूल व बरजिंदरा कॉलेज की स्थापना की। फरीदकोट स्टेट में विकास कार्य देखने के लिए दूसरी स्टेटों के अधिकारी भी पहुंचते थे। यहां की हरियाली और मारतों की दूर-दूर तक धाक रहती थी।
हिप्र के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ है रिश्तेदारी
फरीदकोट के रिसायती परिवार की हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ भी रिश्तेदारी है। वीरभद्र सिंह की बेटी मीनाक्षी का विवाह 26 सितंबर, 2015 को महाराजा हरिंदर सिंह बराड़ के छोटे भाई कंवर मनजीत सिंह के पौत्र रविइंद्र सिंह के साथहुआ था। हालांकि हरिन्द्र सिंह बराड़ और कंवर मनजीत सिंह के बीच कभी किसी तरह की कोई सांझेदारी नहीं रही। शुरुआत से ही दोनों के परिवार अलग अलग रहते रहे हैं। कंवर मनजीत सिंह की मौत के बाद उनके बेटे भरतइंद्र सिंह पत्नी ब्रह्म प्रकाश कौर और छोटे बेटे रविइंद्र सिंह के साथ फरीदकोट में ही रहते है, जबकि बड़ा बेटा चंडीगढ़ में सेटल है।
बेटे ने दी मुखाग्नि
राजकुमारी दीपइंदर कौर मेहताब का अंतिम संस्कार सोमवार को रियासती परिवार की शाही समाधां स्थल पर धार्मिक रीति-रिवाज से किया गया। उनकी मृतक देह को मुखाग्नि उनके बेटे और पश्चिम बंगाल के वर्धमान राजघराने के राजकुमार जयचंद मेहताब ने दी। इस मौके पर दीपइंदर कौर के पति राजा सदे चंद मेहताब, बेटी निशा खरे, दामाद राजीव खरे, चाची जतिंदर कौर मेहमुआना समेत अन्य करीबी रिश्तेदार शामिल हुए।
रियासती राजमहल से सोमवार दोपहर एक बजे राजकुमारी दीपइंदर कौर मेहताब की अंतिम यात्रा शुरू हुई। रियासती परिवार की फूलों से सजी गाड़ी में उनकी मृतक देह को राजमहल से शाही समाधां लाया गया। यहां पर हिंदू व सिख रीति-रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया राजकुमारी दीपइंदर कौर मेहताब का पार्थिव शरीर।
ये हुए अंतिम संस्कार में शामिल
जिला प्रशासन की तरफ से डिप्टी कमिश्नर राजीव पराशर ने राजकुमारी दीपइंदर कौर को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर एसएसपी राजबचन सिंह संधू, पूर्व मंत्री उपेंद्र शर्मा, पीआरटीसी के पूर्व चेयरमैन नवदीप सिंह बब्बू बराड़, शिअद के जिलाध्यक्ष (देहाती) व पूर्व विधायक मनतार सिंह बराड़, शिअद जिलाध्यक्ष (शहरी) सतीश ग्रोवर, कांग्रेसी नेता सुङ्क्षरदर कुमार गुप्ता, साजन शर्मा, समाजसेवी प्रवीण काला, एडवोकेट परमजीत सिंह, एडवोकेट ललित मोहन गुप्ता, एडवोकेट महीपइंद्र सिंह सेखों, अशोक सच्चर, मग्घर सिंह समेत शहर की विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारी भी शामिल हुए।