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जसपाल की मौत पर पुलिस ने गढ़ी फिल्मी कहानी

लोकसभा चुनाव के मतदान से एक दिन पहले 1

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 05:03 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 05:56 PM (IST)
जसपाल की मौत पर पुलिस ने गढ़ी फिल्मी कहानी

राजीव शर्मा, फरीदकोट

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18 मई की रात को गांव रत्तीरोड़ी के गुरुद्वारा साहिब से सीआइए स्टाफ पुलिस ने एक नौजवान जसपाल सिंह जस को हिरासत में लिया था और अगले दिन 19 मई को सूर्य उदय होने से पहले ही उसका नामो निशान खत्म कर डाला। इस पूरे प्रकरण में फरीदकोट पुलिस एक बड़े विवाद में घिर गई है। हालांकि इस घटनाक्रम में पुलिस अपने सीआईए स्टाफ के इंचार्ज इंस्पेक्टर नरिन्द्र सिंह को भी गंवा चुकी है और अब वह खुद को पाक साफ साबित करने की कोशिश कर रही है लेकिन उसके द्वारा पेश किए जा रहे तथ्य किसी फिल्मी कहानी से कम नजर नहीं आ रहे है। मामले में इंसाफ के लिए नौजवान के परिवारिक सदस्यों समेत जनतक जत्थेबंदियों पर आधारित एक्शन कमेटी ने शनिवार को लगातार चौथे दिन भी एसएसपी दफ्तर के समक्ष रोष धरना जारी रखा और इस केस की किसी सिटिग जज से न्यायिक जांच करवाने की मांग दोहराई।

19 मई को शाम करीब 5 बजे सीआइए स्टाफ के इंचार्ज इंस्पेक्टर नरिन्द्र सिंह ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी की थी। उसी दिन से पुलिस द्वारा तथ्यों को छिपाने की कोशिशें की जा रही है और घटना से जुड़े बड़े चेहरों को बचाने के लिए हर रोज नई कहानी पेश कर उलझाया जा रहा है। मसलन उसी दिन पुलिस के बड़े अधिकारियों को जानकारी दी थी कि सीआइए स्टाफ में एक नौजवान की मौत हो चुकी है और उसके शव को ठिकाने तक लगाया जा चुका है। इस घटनाक्रम के तनाव में इंस्पेक्टर ने भी खुदकुशी की थी।

सब कुछ जानकारी में होने के बावजूद पुलिस ने अपने किसी अधिकारी या कर्मचारी पर केस दर्ज करने की जगह पीड़ित परिवार से शिकायत लेकर छह व्यक्तियों पर अपहरण का केस दर्ज कर उसे नई रंगत देने का प्रयास किया। इन छह लोगों में से दो लोगों को गिरफ्तार करने के बाद अब पुलिस ने उन्हें केस से डिस्चार्ज भी कर दिया है। परिवार व एक्शन कमेटी के बढ़ते दबाव के बाद पुलिस ने अब तक इस केस में सीआईए के दो कांस्टेबल स्तर के ही मुलाजिमों को गिरफ्तार किया है और दावा किया जा रहा है कि नौजवान के खुदकुशी करने के बाद इन दोनों ने ही इंस्पेक्टर के साथ मिलकर उसके शव को ठिकाने लगाने की मंशा से नहर में फेंक दिया था। हालांकि अभी तक पुलिस नहर से भी शव को बरामद नहीं कर पाई है और शव फेंके जाने के सात दिन होने के चलते अब उसके बरामद होने के आसार भी कम होने लगे है। पहले कहा कैमरें खराब है, फिर आधी अधूरी फुटेज दिखाई

इस प्रकरण में पहले दिन से ही पुलिस कहती रही कि सीआइए स्टाफ में लगे सीसीटीवी कैमरे खराब हैं लेकिन एक दिन पहले पुलिस ने मान लिया कि कैमरे सही है लेकिन परिवार व मीडिया को घटना से जुड़ी आधी अधूरी फुटेज ही दिखाई गई। मृतक नौजवान के नाना ने बताया कि 19 मई को दोपहर 3 बजे वह सीआईए स्टाफ के इंचार्ज नरिन्द्र सिंह से मिले थे, उसने बताया कि उनके दोहते को सुबह 5 बजे कोई खालसा सा दिखने वाला व्यक्ति छुड़ा कर ले गया। जब उन्होंने वहां लगे कैमरे देखकर कहा कि हमें उस व्यक्ति की फोटो दिखा दो तो इंस्पेक्टर ने कहा कि कैमरे खराब पड़े है। पुलिस सीसीटीवी कैमरों की फुटेज दिखाकर दावा कर रही है कि उक्त नौजवान ने लॉकअप में खुदकुशी की है लेकिन उस फुटेज में वह फंदा लगाने की कोशिश करता तो दिख रहा है लेकिन यह पार्ट नहीं दिखता जिसमें उसने फंदा लगा लिया हो। साथ ही वह अपने खून से दीवार पर मौत के जिम्मेवार लोगों के नाम लिख रहा है। बड़ा सवाल यह है कि उसके शरीर में खून निकालने वाला जख्म किसने दिया था।

इनसेट

न्यायिक जांच से ही मिल सकता है इंसाफ : एक्शन कमेटी

एसएसपी दफ्तर के समक्ष रोष धरने की अगुवाई कर रही एक्शन कमेटी के सदस्य राजिदर सिंह, कुलदीप शर्मा, कर्णदीप सिंह भुल्लर,शविदर सिंह ने कहा कि इस प्रकरण में जिला फरीदकोट के आला अधिकारियों का सीधा हाथ है और ऐसे में जिला पुलिस की जांच पर ही उन्हें विश्वास नहीं है। एक्शन कमेटी की मांग है कि इस मामले में किसी सिटिग जज से न्यायिक जांच करवाई जाए और यह फैसला जल्द से जल्द होना चाहिए क्योंकि पुलिस सुबुत नष्ट करने में जुटी हुई है। उन्होंने यह भी मांग खुदकुशी करने वाले सीआईए इंस्पेक्टर नरिन्द्र सिंह के फोन कॉल डिटेल भी जग जाहिर की जानी चाहिए कि उसने नौजवान को हिरासत में लेने से लेकर खुद को गोली मारने तक के घटनाक्रम में किस किस के बात की थी।

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