खर्च के लिए ट्रस्ट को बैंक खाते इस्तेमाल करने की मंजूरी
फरीदकोट रिसायत के शाही परिवार की करीब 25 हजार करोड की संपत्ति के मालिक हैं।
संवाद सहयोगी, फरीदकोट
फरीदकोट रिसायत के शाही परिवार की करीब 25 हजार करोड़ की संपत्ति के विवाद में कुछ माह पहले पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला आया था। इसमें महाराजा हरिन्द्र सिंह बराड़ की वसीयत को जाली करार देते हुए संपत्ति का हक बेटियों को दे दिया था। इस फैसले के बाद वसीयत के मुताबिक शाही परिवार की जायदाद संभाल रहे महारावल खेवा जी ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में यथास्थित रखने के आदेश जारी कर दिए थे। हाईकोर्ट से आए आदेश के बाद फरीदकोट की अलग-अलग बैंकों में चल रहे ट्रस्ट के 12 खातों को फ्रीज कर दिया गया था। हालांकि अदालत से ऐसा कोई आदेश नहीं था, लेकिन बताया जा रहा है कि संपत्ति विवाद को अदालत ले जाने वाली राजकुमारी अमृत कौर द्वारा सभी बैंकों से हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देकर यह खाते फ्रीज करवाए गए। खाते बंद हो जाने से संपत्ति की निगरानी कर रहे महारावल खेवा जी ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केस का फैसला होने तक बैंक खातों को चलाने की इजाजत मांगी थी। इस याचिका में ट्रस्ट ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि चूंकि ट्रस्ट के पास संपत्ति की देखभाल के 244 कर्मचारी हैं, उनके वेतन समेत बिजली. पानी के बिल, टैक्स, ईएसआइ ईपीएफ समेत जीएसटी आदि का भुगतान करने के लिए पैसे की जरूरत है और इनमें से कई भुगतान तो अति जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उदय उमेश ललित व जस्टिस रविदर भट्ट पर आधारित डबल बैंच द्वारा सोमवार को सुनवाई की गई थी। दोनों पक्षों के वकीलों की बहस के बाद ट्रस्ट को खर्चो के लिए बैंक खाते चलाने की इजाजत दे दी।
अदालत ने संबंधित बैंकों के प्रबंधकों को इन खातों की एक जून 2020 से 30 अक्टूबर 2020 तक की स्टेटमेंट भी उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं।